Who was made Section 377, When was its first movement against in India?
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ब्रिटेन में 25 अक्टूबर, 1800 को जन्मे लॉर्ड मैकाले एक राजनीतिज्ञ और इतिहासकार थे. उन्हें 1830 में ब्रिटिश पार्लियामेन्ट का सदस्य चुना गया था .वह 1834 में गवर्नर-जनरल के एक्जीक्यूटिव काउंसिल के पहले कानूनी सदस्य नियुक्त होकर भारत आए. भारत में वह सुप्रीम काउंसिल में लॉ मेंबर और लॉ कमिशन के हेड बने. इस दौरान उन्होंने भारतीय कानून का ड्राफ्ट तैयार किया. इसी ड्राफ्ट में धारा-377 में समलैंगिक संबंधों को अपराध की कैटेगरी में डाला गया. इसी ड्राफ्ट में धारा-377 के तहत समलैंगिक रिश्तों को अपराध की श्रेणी में रखा गया. इसमें गैर जमानती 10 साल या फिर आजीवन जेल की सजा का प्रावधान है.
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वहीं भारत में धारा 377 का पहली बार मुद्दा गैर सरकारी संगठन ‘नाज फाउंडेशन’ ने उठाया था. इस संगठन ने 2001 में दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी और अदालत ने समान लिंग के दो वयस्कों के बीच यौन संबंधों को अपराध घोषित करने वाले प्रावधान को ‘‘गैरकानूनी’’ बताया था.
बता दें ,ऑस्ट्रेलिया, माल्टा, जर्मनी, फिनलैंड, कोलंबिया, आयरलैंड, अमेरिका, ग्रीनलैंड, स्कॉटलैंड, लक्जमबर्ग, इंग्लैंड और वेल्स, ब्राजील, फ्रांस, न्यूजीलैंड, उरुग्वे, डेनमार्क, अर्जेंटीना, पुर्तगाल, आइसलैंड, स्वीडन, नॉर्वे, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, कनाडा, बेल्जियम, नीदरलैंड जैसे 26 देशों ने समलैंगिक सेक्स को अपराध की श्रेणी से हटा चुका है.
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