Why people should not believe in blind faith on social media
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आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर पिछले दिनों फाइटर जेट टच डाउन किए गए थे। जिससे भविष्य में आने वाली परेशानियों में लड़ाकू विमानों के लिए इसे रनवे के रूप में इस्तेमाल किया जा सके। आपको बता दे कि एक्सप्रेस-वे की सर्विस लेन पर 50 फीट गहरा गड्ढ़ा होने और उसमें एक एसयूबी के गिरने की खबर जंगल में आग की तरह फैल चुकी है। इसका एक कारण यह भी है कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का यह ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है। धीरे-धीरे इस हादसे की तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने लगी। और तो और यह मामला आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के गड्ढ़े तक ही नहीं रहा। बल्कि सोशल मीडिया में और भी ऐसी कई सारी तस्वीरें सामने लगीं। और ऐसी की एक तस्वीर और सोशल मीडिया पर तेजी से छा रही है जिसमे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सड़क धंसने को स्टेडियम का आकार बताया जा रहा है।
गौरतलब है कि वाराणसी की यह तस्वीर सच में भयानक है, शायद इस बात को सोशल मीडिया पर अंधा भरोसा करने वाले लोग भी नही जानते थे। इस तस्वीर के साथ वाराणसी के लोगो ने कमेंट करते हुए लिखा है कि विश्व का पहला अंडर ग्राउंड क्रिकेट स्टेडियम बन कर तैयार है। वो भी सड़क के बीचों-बीच। नरेंद्र मोदी जी को 21 तोपों की सलामी।
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि यह तस्वीर खोजबीन के दौरान वर्ष 2017 की निकली। और पिछले साल 7 अगस्त को कांग्रेस आईटी सेल की हेड दिव्या स्पंदना ने इस फोटो को ट्वीट कर शेयर किया था। इतना ही नही यह तस्वीर अहमदाबाद शहर की है और इस बात को अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (AMC) ने माना भी था कि यह तस्वीर अहमदाबाद की है। गौर से देखेगे तो इस तस्वीर के बैरिकेड पर अंग्रेजी और गुजराती में एएमसी लिखा है। दरअसल इसी तस्वीर को 29 जुलाई 2017 को गुजरात कैडर के आईपीएस अफसर रह चुके संजीव भट्ट ने अहमदाबाद की तस्वीर बताकर दिव्या से पहले ट्वीट किया था। हालांकि यह तस्वीर जुलाई 2017 में भारी बारिश के बाद सड़क धंसने की है जो शहर के स्वास्तिक चौराहे के पास की है।
फिलहाल यह पहली बार नही हुआ है जब सोशल मीडिया पर गलत तस्वीर साझा करके लोगों को भ्रम में रखा जा रहा हो। फेक न्यूज की कैटेगरी में आने वाली खबरों पर सरकार कड़ा निर्णय ले रही है। व्हाट्सएप, ट्विटर, फेसबुक और गूगल में फेक न्यूज को बंद करने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। और इसीलिए आप भी सोशल मीडिया में आने वाली खबरों को सच मानने से पहले सही तथ्यों की जान लें, फिर अपने सुझाव दें।