Saturday, November 30, 2024
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हाँ, मुझे आज शर्म से कहना पड़ रहा है- #Mera_Desh_Jal_Raha_Hai

SI News Today

Yes, I have to say shamefully today –

    

हाँ, मुझे आज शर्म से कहना पड़ रहा है- #Mera_Desh_Jal_Raha_Hai

आज मेरे में कई जगह जल संकट आ खड़ा हुआ है और कश्मीर जल रहा है। इससे पहले भी ये हुआ था मगर तत्कालीन प्रधानमत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी ने उन समस्याओ को जो प्रयास किया है उसे आज की वर्तमान सरकार को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। वो चाहे प्रकृति सरंक्षण के लिए कार्य हो चाहे विज्ञानं के क्षेत्र में भारत का अमूल्य योगदान। सब क्षेत्र में भारत अपनी तरक्की की राह चल चुका था, आज तो बस हमे उस कार्य को आगे बढ़ाना मात्र था। मगर पिछली और वर्तमान सरकार ने न तो जल-सरंक्षण (नमामि गंगे ) और न ही किसान हित में कार्य किया है। अपनी अकुशल राजनीति का परिचय देते हुए रमजान में सौंप दिया हमारे कश्मीर को उन वहशी पत्थरबाजों और आतंकवादियों के हवाले जो आज न तो वो देख रहे कि रमजान है और न ही मुसलमान। गंगा सूखती जा रही है तो शिमला प्यासा तड़प रहा है। तेल कि कीमतें आसमान छू रही है तो किसान अनाज सड़को पर फेंक रहा है। शिक्षा महंगी होती जा रही है तो बेरोजगारी की दर काफी ऊँची है। हिन्दू-मुस्लिम का जहर घोला जा रहा है तो देश का व्यापारी आज पैसे पैसे का मोहताज़ है। अरबपति लोन लेकर भागे जा रहे है तो गरीब आदमी अपनी छत के लिए बैंकों के चक्कर लगा-लगाकर मरा जा रहा है। आज इंसान पहले भारतीय न होकर हिन्दू,मुस्लिम, ईसाई, जाट, मराठा और दलित में बँट गया है। आज राजीनीति धर्म नहीं पेशा हो गया है, खेल हो गया है। जो लोग महंगाई के लिए सरकार को घेरने सड़को पर उतर आये थे आज वो बढ़ती महंगाई पर चुप है। जो लोग 2 साल में गंगा निर्मल न कर सकने पर आत्महत्या की धमकियाँ देते थे आज वो न जाने कौन से आरामगाह में है। जो सौगंध लेकर अपने शहर का सांसद बन जाता है उसे अपने संसदीय क्षेत्र को दिया वादा भुलाकर तुरंत DyCM बनने से भी नहीं हिचकता।
“क्या है ये और ये सरकार देश को चलाने की कौन सी नीति अपनायी है?” आज देश में गृहयुद्ध जैसे हालात है। लोगो का गुस्सा सड़को पर उतर आया है। संभल जाईये वरना देश में हर तरफ जो माहौल बना है, उससे सिर्फ अपना ही घर जलना है।
तत्कालीन प्रधानमत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी का ये वीडियो आप राजनीतिज्ञों और आम जनता सबके लिए एक सीख है कि राजनीति के सच्चे मायने क्या है और उसका देश के भविष्य पर क्या प्रभाव पड़ता है। आप माननीयों को बताना है कि दिए (होर्डिंग्स की राजनीति) को हाथ में लेकर सूरज (देश-हित के कार्य) को दिखाने की आदत छोड़ दीजिये, क्यूंकि सूरज सूरज ही होता है उसे न तो किसी को दिखाने की जरुरत होती है न बताने की। पब्लिक को सड़क पर खड़े होकर चिल्ला-चिल्लाकर बताने से अच्छा है कि कुछ देश-हित के काम कीजिये ताकि लोग आपको अपने आप नोटिस करें। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि वोट के लिए किसी बाबा, ग्राम-प्रधान या मशहूर चेहरे को ठेका देने की प्रथा को बंद करिये, “क्यूंकि ये पब्लिक है ये सब जानती है।”

Copyright- @TheSuneelMaurya 

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Sunil Maurya
the authorSunil Maurya
Karm se Engineer Mun se Social Activist

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