Sunday, December 22, 2024
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व्यक्ति को सफल बना सकते हैं विद्या और रत्न, जानिए कैसे…

SI News Today

हिंदू धर्म में मनुस्मृति का विशेष महत्व माना जाता है। मनुस्मृति की रचना महाराज मनु ने महर्षि भृगु के सहयोग से की थी। मान्यता के अनुसार, इस ग्रंथ में जीवन प्रबंधन के सूत्र बताए गए हैं। मनुस्मृति के अनुसार, माना जाता है कि यदि किसी स्थान पर जाते हुए 6 चीजें प्राप्त होती हैं, तो उन्हें लेने में संकोच नहीं करना चाहिए। ये किस्मत को चमकाने में हमारी सहायता कर सकती हैं।

रत्न- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, रत्नों को ग्रह दोष समाप्त करने वाला माना जाता है। इनमें हीरे को बहुमूल्य माना जाता है, लेकिन ये कोयले की खान से मिलता है। मोती और मूंगा समुद्र की गहराइयों में पाए जाते हैं। हीरा कई लोगों के लिए अशुभ साबित होता है। इसके अलावा जब इसकी दशा शुभ रहे तो ये रंक को भी राजा बना देता है। मनुस्मृति के अनुसार, किसी भी स्थान से रत्न प्राप्त हों तो उन्हें लेने में संकोच नहीं करना चाहिए।

विद्या- मनु के अनुसार विद्या कहीं से भी प्राप्त हो, वहां से ग्रहण कर लेनी चाहिए। विद्या जीवन को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण साबित होती है। विद्या पाने का अर्थ है कि उसे अपने चरित्र में उतारा जाए। किसी भी स्थान या व्यक्ति से विद्या प्राप्त हो तो उसे लेने में संकोच करना स्वयं के लिए ही नुकसानदेह होता है।

धर्म- धर्म संस्कृत का शब्द है। इसका अर्थ होता है धारण करना। धर्म का अर्थ बहुत ही व्यापक है। धर्म-कर्म का अर्थ केवल अंधविश्वास ही नहीं होता, वह हमें अपने काम को जिम्मेदारी से करना सिखाता है। मनुस्मृति के अनुसार, उच्च विचार रखना भी धर्म की श्रेणी में आता है।

पवित्रता- इस शब्द का संबंध सिर्फ शरीर से ही नहीं, विचार, व्यवहार और सोच से भी है। व्यवहार और सोच के पवित्र हुए बिना शरीर के पवित्र होने का अर्थ नहीं होता है। मनुस्मृति के अनुसार, जिस स्थान से पवित्र यानी साफ विचार मिलें उन्हें ग्रहण कर लेना चाहिए। पवित्र विचार ही व्यक्ति को सफल बना सकते हैं।

उपदेश- विशेष स्थान से गुजरते हुए संत या महात्मा उपदेश दे रहे हों तो उस स्थान पर अवश्य रुकना चाहिए। ये उपदेश में जीवन की कई परेशानियों को समाप्त कर, रोशनी से भरा रास्ता दिखा सकते हैं। इसलिए जिस स्थान पर कोई महात्मा उपदेश दे रहे हों, वहां रुककर उसे ग्रहण कर लेना चाहिए।

कला- मनुस्मृति के अनुसार, जिस भी स्थान या व्यक्ति से किसी विशेष कला की प्राप्ति हो तो उसे संकोच के बिना ग्रहण कर लेना ही लाभकारी होता है। व्यक्ति या स्थान का चरित्र या व्यवहार पर ध्यान दिए बिना उसकी कला को महत्व दिया जाना चाहिए। यही कला आपके जीवन की मार्गदर्शक बन सकती है।

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