आरक्षण राजनीति का सबसे बड़ा मुद्दा आज के वर्त्तमान समय में बन गया है. हर राज्य में आरक्षण के मुद्दे पर आजकल चुनाव चल रहा है. हर राज्य में सत्ताधारी दल को आरक्षण को लेकर किसी न किसी समुदाय से दो चार होना पड़ता है. कुछ ऐसा ही गुजरात चुनाव में चल रहा है. पाटीदार आरक्षण के लिए लगातार सरकार को धमकी दे रहे हैं इसके अलावे कांग्रेस को समर्थन देने के आरक्षण की बात कह रहे हैं.
वहीँ बिहार में भी आउट सोर्सिंग में आरक्षण के मुद्दे पर राजनीति गर्म चल रही है. इसके पक्ष में सत्ताधारी दल के अलावे सहयोगी दल भी है. हिन्दुस्तान आवामी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने इसका स्वागत भी किया है. लेकिन उन्होंने गुजरात के पाटीदारों पर बड़ा बयान दिया है. गया स्थित अपने आवास पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए मांझी ने कहा कि गुजरात में फिर से अपार बहुमत के साथ सरकार बनने की बात कही है. उन्होंने पाटीदारों को आरक्षण पर कहा कि उन्हें आरक्षण नहीं मिलना चाहिए. गुजरात में पाटीदार समाज की हैसियत जमींदारों जैसी है, ऐसे में वहां दलित एवं पिछड़ों को मिले आरक्षण में कटौती कर पाटीदारों को आरक्षण देने की बात को कही से भी न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता है. दि आरक्षण का कोई पैमाना तय करना है तो आबादी के अनुपात के अनुसार आरक्षण सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
बिहार में जदयू और प्रमुख विपक्षी पार्टी राजद के बीच जारी बयानबाजी पर कहा कि इस तरह का बयानबाजी नहीं होना चाहिए साथ ही कहा कि व्यक्तिगत स्तर पर राजनीति और आरोप प्रत्यारोप का जो दौर चल रहा है वह सही नहीं है. इससे बचना चाहिए. इसके लिए सभी दलों के शीर्ष नेताओं को आपसी पहल कर गिला शिकवा दूर कर लेना चाहिए.