बिहार के जहानाबाद जिला मुख्यालय के कोर्ट एरिया स्थित सरकारी आवास इन दिनों साइबेरियन पक्षियों का बसेरा बना हुआ है। ये पक्षी हजारों मिल की दूरी तय कर गर्म प्रदेशों में निवास करते यहां पहुंचते हैं। ये 100 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से उड़ान भरते हैं। बसंत ऋतु प्रारंभ होते ही पुन: साइबेरिया के लिए प्रस्थान कर जाते हैं।
सरकारी आवासीय प्रांगण में लगे बड़े बड़े पेड़ पर डेरा डाले इन पक्षियों के कोलाहल से सारा वातावरण गुंजायमान रहता है। दानापुर कैँट के बाद सबसे अधिक प्रवास इन पक्षियों का जिला मुख्यालय ही रहता है। अपनी सुरक्षा के प्रति हमेशा सतर्क रहने वाले इन अप्रवासी पक्षियों का बसेरा मुख्यत: अनुमंडल परिसर,कारा परिसर,पुरानी कोर्ट परिसर, अपर समाहर्ता निवास, डीसीएलआर परिसर, एलआईसी कार्यालय के समीप स्थित वृक्ष एवं परिसदन परिसर बना हुआ है।
इन सुरक्षित स्थानों पर पक्षियों को क्षति या हानि नहीं पहुंचाता है। अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हुए प्रत्येक वर्ष इन्हीं स्थानों पर इनका प्रवास होता है। एक अनुमान के मुताबिक जुल जुलाई के महीने में लगभग दस से पंद्रह हजार की संख्या में पक्षी यहां पहुंचते हैं।
इन पक्षियों का आगमन पिछले बीस वर्षों से लगातार हो रहा है। आने के उपरांत सर्वप्रथम परिसरों में स्थित पेड़ों पर घोसला का निर्माण करते हैं। यह सिलसिला एक पखवारे तक चलता है। घोसला का निर्माण नर एवं मादा दोनों मिलकर करते हैं। घोसले का औसत व्यास लगभग एक फुट होता है। उन पक्षियों द्वारा पेड़ के सबसे उंची टहनियों पर घोसला बनाया जाता है। इनका प्रिय भोजन, घोंघा, मछली एवं केकड़ा है। इसलिए इन्हें घोंघिल भी कहा जाता है
जुलाई एवं अगस्त के महीने में वर्षा की अधिकता के कारण आहर, पोखर एवं नदी नालों में घोंघा, मछली एंव केकड़ा पर्याप्त मात्र में मिलते हैं। इनके द्वारा जुलाई महीने में अंडा दिया जाता है। उसके पंद्रह दिन के बाद नई पीढ़ी का आगमन होता है।
संपूर्ण प्रवास के दौरान इन पक्षियों द्वारा तीन बार अंडा दिया जाता है। एक अनुमान के अनुसार इन पक्षियों का औसत रफ्तार एक सौ किलोमीटर प्रतिघंटा है। उन पक्षियों का सबसे ज्यादा खतरा बंदरों से होता है। बंदर अंडे को नष्ट कर देता है। पक्षियों का प्रस्थान नवम्बर के प्रथम सप्ताह से प्रारंभ हो जाता है एंव अंत तक सभी यहां से साइबेरिया के लिए प्रस्थान कर जाते हैं।