देश के पहले सुपरसोनिक लड़ाकू विमान ‘तेजस’ को बनाने वाले दरभंगा निवासी डाॅ मानस बिहारी वर्मा को जब गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्मश्री से सम्मानित करने की घोषणा हुई तो बिहारियों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया. देने की घोषणा हुई त्यों ही मिथिला वासियों में खुशी की लहर दौड़ गई.
दरभंगा जिले के सुदूरवर्ती और बाढ़ग्रस्त इलाके में शुमार घनश्यामपुर प्रखंड के छोटे से गांव बाउर के रहने वाले डाॅ वर्मा की बचपन की प्रवृत्तियों को देखकर माता-पिता इन्हें ऋषि कहने लगे. प्रख्यात मैथिली साहित्यकार ब्रजकिशोर वर्मा मणिपद्म के परिवार से संबंधित होने के कारण पठन-पाठन का उचित माहौल मिला और इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई पर हाईस्कूल की पढ़ाई इन्होंने जिला स्कूल चाईबासा, जिला स्कूल गया और जिला स्कूल मधेपुर से प्राप्त की. इसके बाद पटना साइंस कॉलेज, बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज और सागर विश्वविद्यालय से उच्च और तकनीकी शिक्षा प्राप्त की.
वर्मा को पद्म श्री से पहले डीआरडीओ के ‘साइंटिस्ट आॅफ द इयर’ और ‘टेक्नोलॉजी लीडरशिप अवॉर्ड’ से सम्मानित किया जा चूका हैं.
पद्मश्री मिलने से आश्चर्यचकित डाॅ वर्मा ने कहा मुझे थोड़ा सा भी आभास नहीं था कि मुझे इतना बड़ा सम्मान मिलेगा. यह सम्मान टीम वर्क से मिला है और इसके लिए मैं अपने तमाम सहयोगियों का आभारी हूं.
मेरी सीखने की प्रक्रिया अभी तक कायम है. मेरा जीवन पूर्व राष्ट्रपति और सहयोगी रहे एपीजे अब्दुल कलाम, डाॅ कोटा हरिनारायण, डाॅ टीजी पाई, डाॅ के वी राय, डाॅ पीएन एपी राय, मिस्टर कटी और श्री वात्स से प्रेरित रहा है.
रिटायरमेंट के बाद भी वह 2005 से सामाजिक कार्यों में लगे है. अलग-अलग एनजीओ के जरिए बच्चों और शिक्षकों के बीच विज्ञान का प्रसार कर रहे हैं. अपने गांव को बाढ़ से मुक्ति के लिए भी वह प्रयास कर रहे है. उनके गांव से जुड़ाव को देख कर आपको नहीं लगेगा कि वह इतने बड़े भारत के साइंटिस्ट रह चुके है.