दिल्ली की एक अदालत ने कहा कि बलात्कार का झूठे आरोप के शिकार व्यक्ति को बेवजह शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है और उसका मान-सम्मान प्रभावित होता है। इसलिए झूठा आरोप लगाने के अपराध के लिए शिकायतकर्ता महिला आपराधिक कार्यवाही से नहीं बच सकती। अदालत ने कहा कि इस तरह के मामलों से व्यवस्था का मखौल उड़ता है जिससे अदालत का कीमती समय बर्बाद होता है। साथ ही पूरी प्रक्रिया में गलत सूचना देकर पुलिस प्राधिकरण का भी इस्तेमाल किया जाता है जिसके लिए कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए।अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शैल जैन ने पुलिस को जानबूझ कर गलत सूचना देने और एक व्यक्ति के मान-सम्मान को प्रभावित करने के लिए एक महिला के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया।
अदालत ने एक नृत्य शिक्षक को बलात्कार व धोखाधड़ी के आरोपों से बरी करते हुए कहा कि महिला के बयान से साफ है कि उसने यह जानते हुए कि नृत्य शिक्षक ने उसके प्रति ना तो किसी अपराध को अंजाम दिया और ना ही शादी का झूठी वादा कर उसके साथ बलात्कार किया, व्यक्ति के खिलाफ गलत शिकायत की। आदेश में बाकी पेज 8 पर साथ ही कहा गया कि यह अदालत द्वारा झूठा आरोप लगाने के अपराध के लिए महिला पर मुकदमा चलाने से संबंधित मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट से शिकायत करने का उपयुक्त मामला है। अदालत ने अपने एक कर्मचारी को एक अलग शिकायत दर्ज कराने का निर्देश दिया।महिला ने नृत्य शिक्षक के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि उसने शादी का झूठा वादा कर उसके साथ 2016 में करीब एक साल तक बलात्कार किया।