कड़े विरोधों के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपने यहां शिक्षकों की नियुक्ति कांट्रेक्ट (ठेके) की जगह स्थाई करने का फैसला किया है। बता दें कि विश्वविद्यालय के कॉलेजों ने शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की है। डीयू के सहायक रजिस्ट्रार ने कॉलेजों को पत्र लिखकर कहा है कि पदों पर नियुक्ति के विज्ञापन निकालते समय उसे ‘कांट्रेक्ट’ की जगह ‘परमानेंट’ ही लिखें। इसके साथ ही यह साफ हो गया कि अब दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षकों की ठेके पर बहाली नहीं होगी। दरअसल इससे पहले कॉलेजों के सहायक प्रोफेसर के विज्ञापनों में ठेके पर भर्ती निकाली जा रही थी। जिसका शिक्षकों ने भारी विरोध किया था। माना जा रहा है कि विरोध के दबाव में डीयू के सहायक रजिस्ट्रार ने 2 जून को सभी कॉलेजों के प्रिंसिपल को पत्र भेजकर कहा है कि वे अपने कॉलेजों में पदों की नियुक्तियां निकालते समय विज्ञापन में ‘परमानेंट’ ही लिखे।
बता दें कि डीयू में लंबे समय से स्थाई बहाली रुकी हुई है। दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों द्वारा लंबे समय से परमानेंट पर बहाली नहीं हो रही है और कॉलेजों में 50 फीसद शिक्षक तदर्थ हैं। कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के करीब 4000 पद खाली हैं और लगभग एक हजार पद विभागों में खाली पड़े हैं। कॉलेजों में बहाली की प्रक्रिया शुरू हुई है। विभिन्न पदों के लिए विज्ञापन दिए गए हैं। अभी तक 32 कॉलेजों ने अपने यहां स्थाई बहाली के विज्ञापन निकाले हैं। विश्वविद्यालय की इस बाबत सहायक रजिस्ट्रार के पत्र से तदर्थ शिक्षकों में खुशी का माहौल है। दिल्ली विश्वविद्यालय की विद्वत परिषद के सदस्य प्रोफेसर हंसराज ‘सुमन’ ने कहा 32 कॉलेजों में से अधिकांश कॉलेजों की ओर से निकाले जा रहे विज्ञापनों में यह लिखा गया है कि उम्मीदवार के शैक्षणिक अनुभव, योग्यता व साक्षत्कार के अनुरूप अनुबंध के आधार पर रखा जा सकता है। लेकिन अब डीयू ने साफ किया है कि कॉलेज अनुबंध शब्द नहीं लिखेगा, इससे उम्मीदवार असुरक्षित महसूस कर रहे थे।