वध के लिए पशुओं की खरीद-फरोख्त को बैन किए जाने के केंद्र सरकार के फैसले को लेकर लगातार विरोध हो रहा है। केरल और पश्चिम बंगाल के बाद बिहार की सत्ताधारी पार्टी जनता दल (यूनाइडेट) (JDU) ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। जेडीयू ने केंद्र सरकार की ओर से पशुओं की ब्रिकी पर लगाई गई रोक को गलत बताया है। मंगलवार को केंद्र के फैसले पर जेडीयू ने कहा, “वह पश्चिम बंगाल और केरल के मुख्यमंत्री की बात से सहमत है, क्योंकि राज्यों को बिना विश्वास में लिए इस तरह के फैसले लिया जाना असंवैधानिक है।” इससे पहले सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी केंद्र के इस फैसले को मानने से इंकार करते हुए कहा था कि वह इसे मानने के लिए बाध्य नहीं है। ममता ने भी सरकार के इस नियम को असंवैधानिक करार दिया था।
वहीं, दूसरी ओर विरोध के बीच खबरें आ रही है कि पशुधन मेलों में वध के लिए खरीद-फरोख्त के लिए लाए जाने वाले जानवरों की सूची में केंद्र सरकार कुछ बदलाव कर सकती है। राज्यों के विरोध को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि केंद्र इस सूची से भैस को बाहर कर सकती है। एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में इस बारे में बताया था। राज्यों की ओर से कहा गया था कि सरकार के इस फैसले से चमड़े की किल्लत हो जाएगी और हजारों लोगों का रोजगार छिन जाएगा। सरकार की नो स्लॉटर लिस्ट में जिन जानवरों (मवेशी) को शामिल किया गया है ,उनमें गाय, बैल, भैंस, बछिया-बछड़ा और ऊंट है। सरकार के नए आदेश के बाद वध के लिए पशुमेलों में इनकी खरीद-फरोख्त नहीं की जा सकती है।
कौन-कौन कर रहा केंद्र के फैसले का विरोध
केंद्र सरकार के फैसले का सबसे ज्यादा विरोध केरल में हो रहा है। फैसले के बाद केरल के यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर गोवंश काटने का आरोप लगा है। इस कृत्य का वीडियो सामने आने के बाद उनकी खूब आलोचना हो रही है। वहीं, कांग्रेस ने इस मामले में तीन कार्यकर्ताओं को निलंबित कर दिया। केरल सरकार भी इस फैसले का विरोध कर रही है। केरल के अलावा पश्चिम बंगाल सरकार, तमिलनाडू की डीएमके ने भी इस पर आपत्ति जताई है।