चंडीगढ़: रेपिस्ट रामरहीम को दोषी करार देने के बाद हुई भयानक हिंसा की स्क्रिप्ट फैसला आने से पहले ही बखूबी लिख लिया गया था। इसके बाद सीबीआई की विशेष कोर्ट से एक किलोमीटर दूर जमा डेरा समर्थकों को इसकी रूपरेखा भी समझा दी।
– जानकारी के मुताबिक, विभिन्न सेक्टरों के पार्कों व सड़क किनारे जमा युवाओं और महिलाओं को पुलिस की ओर से होने वाले एक्शन के बाद के रिएक्शन के दिशा-निर्देश कोड वर्ड में दिए गए थे।
– समर्थकों के लिए खाना-पानी-चाय ला रहे पंजाब-हरियाणा के डेरामुखी के गुर्गों पर हर आधे घंटे बाद मुख्य स्थलों पर पहुंचकर पल-पल बदल रही रणनीति से अवगत कराने का भी जिम्मा था।
– पंजाब-हरियाणा नंबर की गाडिय़ों में पांच से दस की संख्या में भरकर आ रहे ये गुर्गे जहां समर्थकों को मीडिया से दूरी बनाने के डेरे के आदेशों से अवगत करा रहे थे, वहीं फैसला आने के बाद की प्लानिंग भी समझा दी थी।
पंचकूला में पूरी स्ट्रैटजी के तहत राम रहीम ने अपनी अलग टीम तैयार कर रखी थी। इनके हाथ में पूरी कमान थी कि बाबा बरी हुए तो क्या करना है और दोषी पाए गए तो क्या रुख अख्तियार करना है। ये पांच लोग थे- आदित्य इंसा, धीमान इंसा, दिलावर इंसा, पवन इंसा और मोहिंदर इंसा। 26 अगस्त की इस खबर पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है। कोर्ट ने कहा है कि पत्रकार अपनी खबर पर कायम है तो इन लोगों पर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।
– दरअसल, शुक्रवार 25 अगस्त को राम रहीम के समर्थक दोपहर 2.30 बजे तक आराम से बैठे थे।
– ये पांच लोग दो अन्य लोगों के साथ पंचकूला के हैफेड चौक पहुंचे।
– आपस में इन्होंने बात की, बोले- बाबा जी पहुंच चुके हैं, लोगों में जोश नहीं है।
– इनमें से दो लोग निकले और सामने भीड़ से कहा- जय हो, बाबा जी बच गए। पूरी भीड़ खड़ी हो गई।
– फिर इन पांच में से दो सेक्टर-3 में समर्थकों के पास पहुंचे।
लोगों की पीटा, 100 से ज्यादा गाड़ियां जला दीं…
– 2.55 बजे जैसे ही राम रहीम को कोर्ट ने दोषी करार दिया, ये सब भीड़ में पहुंचे समर्थकों को भड़काया, इन्होंने ही ओबी वैन तुड़वाई और खुद चुपचाप निकल लिए।
– इससे पहले शुक्रवार को सीबीआई कोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा मुखी गुरमीत राम रहीम को साध्वी यौन शोषण मामले में दोषी पाया।
-इसके बाद पंचकूला की सड़कों पर डेरा समर्थकों ने जमकर गुंडागर्दी की। लोगों की पीटा, 100 से ज्यादा गाडिय़ां जला दीं, पुलिस पर भी पत्थर फेंके।
– पिछले तीन दिनों में पुलिस के पास कई मौके थे जब इन समर्थकों को शहर की सरहदों से खदेड़ा जा सकता था, लेकिन पुलिस ने ऐसा किया नहीं।
– हरियाणा सरकार के हाथों पुलिस बेबस थी और पांच पुलिस अफसरों के हाथों पूरी पुलिस फोर्स।