बढ़े किराए के विरोध में यात्रियों ने शनिवार को मेट्रो का बहिष्कार किया। दिल्ली मेट्रो यात्री संघ (डीएमसीए) और कई विश्वविद्यालयों के छात्रों ने बाराखंबा रोड स्थित दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) मुख्यालय पर प्रदर्शन कर बहिष्कार दिवस का समापन किया। इस दौरान शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू का पुतला फूंक किराए में तुरंत कटौती की मांग उठाई। डीएमसीए की अपील को मानते हुए दिल्ली मेट्रो यात्रियों ने मेट्रो का बहिष्कार किया। इस दौरान केवाईएस से जुड़े छात्रों के एक समूह ने डीएमआरसी के मुख्यालय पर जमा होकर भारी प्रदर्शन भी किया। उन्होंने डीएमआरसी को एक ज्ञापन सौंपकर चेतावनी दी कि किराया कम करने की मांग को तुरंत माना जाए, वरना छात्र विकराल कदम उठाने को मजबूर होंगे। बाद में छात्रों के एक और समूह ने जंतर-मंतर पर जमा होकर केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू का पुतला फूंका और डीएमआरसी और शहरी विकास मंत्रालय की ओर से जापानी कंपनी के लिए काम करने और दिल्ली की आम जनता की अनदेखी करने की बात कही।
छात्रों की ओर से शनिवार को 50 से ज्यादा मेट्रो स्टेशनों पर यात्रियों को पर्चा बांटकर, मेट्रो का बहिष्कार करने के लिए अपील की गई। डीएमसीए के संयोजक सचिन सिंह भंडारी ने कहा कि किराया बढ़ाने के इस फैसले के पीछे मेट्रो को चलाने में हो रहे नुकसान को कारण बनाया गया है। यह पूर्णत: गलत है। क्योंकि सरकार व्यापारी घरानों को तो लाखों करोड़ की कर माफी दे रही है और मेट्रो के लिए लोगों पर बोझ डाला जा रहा है। मेट्रो अधिकारियों और केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय क ी ओर से दिया जा रहा तर्क कि घाटे के बावजूद मेट्रो का किराया अभी तक नहीं बढ़ाया गया था, सरासर झूठ है क्योंकि पहले से ही मेट्रो का किराया काफी ज्यादा था और मेट्रो को बिलकुल ठसाठस भरकर चलाकर मुनाफा कमाया जाता था। इसके अतिरिक्त अन्य देशों में मेट्रो में मुहैया कराई जाने वाली सुविधाएं जैसे शौचालय, पेयजल इत्यादि की भी दिल्ली मेट्रो में कमी है। साथ ही, डीएमआरसी अपने कर्मचारियों को ठेके पर नियुक्त करता है और उनको न्यूनतम मजदूरी भी न देकर और भी अधिक मुनाफा कमाता है। सचिन ने यह भी कहा कि किराए में बढ़ोतरी के कारण महिलाओं को भीड़-भरी बसों में यात्रा करने को मजबूर होना पड़ेगा, जिससे शोषण के मामले बढ़ेंगे। यह बढ़ोतरी अगर वापस नहीं ली जाती है तो दिल्ली में प्रदूषण की समस्या भी बढ़ेगी क्योंकि इससे निजी वाहनों की संख्या में इजाफा होगा जिससे प्रदूषण बढ़ेगा जबकि समय की मांग है कि शहर को प्रदूषण-मुक्त बनाया जाए।