दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि नौकरी योग्यता से मिलती है, सिफारिश से नहीं। उन्होंने आइटीआइ जहांगीर में लगाए गए आॅटोमोबाइल जॉब फेयर में कहा कि आज वे बहुत खुश हैं कि आइटीआइ के बच्चों को उनके कैंपस से ही नौकरी मिल रही है। अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि वे लोगों से रोजाना सुबह अपने घर पर मिलते हैं। लोग तरह तरह के काम लेकर आते हैं। लेकिन सबसे ज्यादा लोग जिस चीज के लिए उनके पास आते हैं, वो है नौकरी। लोग ये उम्मीद करते हैंं कि मैं मंत्री हूं तो नौकरी लगवा दूं। उनकी अपेक्षा रहती है कि मैं किसी बड़ी कंपनी वाले को फोन कर दूं कि मेरे फलां आदमी को नौकरी में लगा लो। लेकिन अगर कोई मेरे कहने पर किसी एक को भी नौकरी दे देगा तो फिर किसी दिन वह मेरे से करोड़ों रुपए का ठेका मांगेगा। इसलिए पिछले दो साल से मैंने कभी किसी की नौकरी के लिए सिफारिश नहीं की।
आइटीआइ संस्थानों के लिए लर्न एंड अर्न स्कीम बनाई गई है। दुनिया भर में इस तरह की स्कीम्स बहुत पॉपुलर हैं। ब्राजील जैसे कई देशों में देखा है कि ऐसे कोर्सेस में क्लास की पढ़ाई 30 फीसद होती है और बाकी 70 फीसद फील्ड ट्रेनिंग होती है। हम अपने यहां भी धीरे-धीरे यही सिस्टम ला रहे हैं। इससे हम अपने यहां लगभग तीन गुना ज्यादा बच्चों को पढ़ा पाएंगे और इंडस्ट्री की जरूरत भी पूरी हो सकेगी। शिक्षा मंत्री ने ये भी कहा कि हमारे यहां आइटीआइ और इस तरह के प्रोफेशनल कोर्सेस इसलिए ज्यादा पॉपुलर नहीं हैं क्योंकि इनसे आगे की पढ़ाई का रास्ता बंद हो जाता है।
उन्होंने कहा कि हमने देखा है कि दुनिया के जिन देशों में इन कोर्सेस को करने के बाद आगे की पढ़ाई का रास्ता साफ है, वहां के बच्चे ऐसे कोर्सेस में ज्यादा एडमिशन लेते हैं। हम ऐसी व्यवस्था करने की कोशिश कर रहे हैं कि मान लीजिए अगर आपने आइटीआइ या इस तरह का कोई अन्य प्रोफेशनल कोर्स कर लिया है और आगे फिर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहते हैं तो इन दो साल की पढ़ाई भी उस कोर्स में काउंट की जाए।