आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों ने ‘लाभ के पद’ के आधार पर उन्हें अयोग्य ठहराए जाने वाली अधिसूचना को चुनौती देने के लिए मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया। आप के विधायकों ने न्यायमूर्ति एस. रविंद्र भट्ट की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष इस मामले को उठाते हुए केंद्र सरकार की अधिसूचना रद्द करने और बुधवार को मामले की सुनवाई सूचीबद्ध करने की मांग की। इससे पहले निर्वाचन आयोग ने लाभ के पद का हवाला देते हुए आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से अनुशंसा की थी।
बता दें कि दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी के लोगों को लिखे एक खुले पत्र में 20 आप विधायकों को ‘लाभ का पद’ के कारण अयोग्य करार दिए जाने के मामले में उनका समर्थन मांगा। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पत्र को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) की निंदा की और दिल्ली की सभी 70 सीटों पर लड़ने की चुनौती दी। सिसोदिया ने ट्वीट किए गए पत्र में भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार पर बाधाएं डालकर दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी को काम नहीं करने देने का आरोप लगाया था।
उन्होंने कहा था कि केंद्र मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की देश भर में तेजी से बढ़ती लोकप्रियता से डरा हुआ है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा आप के 20 विधायकों को अयोग्य करार देने की निर्वाचन आयोग की सिफारिश को मंजूरी दिए जाने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि एक बार फिर केंद्र दिल्ली के विकास में बाधा डाल रहा है। सिसोदिया ने कहा था कि इन विधायकों के खिलाफ लाभ का पद धारण करने के आधार पर लगाए गए आरोप झूठे हैं और उन्हें कोई सरकारी वाहन, बंगला या वेतन नहीं दिया गया।
उन्होंने लिखा था, “वे बिना किसी तरह का लाभ लिए शहर के विकास में योगदान देने के जुनून के साथ काम कर रहे थे।” उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा ने इन 20 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव थोपकर दिल्ली के विकास पर पूर्ण विराम लगा दिया है। इन चुनावों को कराने के लिए जनता का धन अनावश्यक बर्बाद किया जाएगा। दिल्ली भाजपा के प्रमुख मनोज तिवारी ने खुले पत्र को लेकर केजरीवाल पर हमला किया और आप को सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की चुनौती दी।