दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा 50 साल पुरानी मस्जिद ढहाने के बाद अब 100 साल पुरानी दरगाह पर भी खतरा मंडराता हुआ दिखाई दे रहा है। डीडीए के इस कदम के कारण कठपुतली कालोनी में तनाव लगातार बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। हजरत सईद भूरे शाह पीर दरगाह पर मंडराते खतरे के कारण तनाव चरम पर पहुंच चुका है। इसके अलावा कुछ लोगों को इस बात का भी डर सता रहा है कि कहीं उस इलाके में मौजूद मंदिरों के साथ भी ऐसा ना किया जाए। कठपुतली कालोनी स्थित मदीना मस्जिद को महज 15 मिनटों में ढहा दिया गया, जिस पर वहां पिछले 32 सालों से काम कर रहे इमाम हाफिज जहीर साहब का कहना है, ‘जब वहां रह रहे लोगों को स्थानांतरित करने में समय है तो मस्जिद को ढहाने में इतनी जल्दबाजी क्यों की गई?’ स्थानीय निवासियों का कहना है कि कालोनी के करीब 5 हजार लोग मस्जिद जाते हैं, उन्हें परिसर को खाली करने के लिए बहुत ही कम समय दिया। जल्दबाजी में केवल एक नीली अलमारी और पवित्र कुरान को ही सुरक्षित किया जा सका।
मस्जिद के ढहने के बाद पांडव नगर स्थित 100 साल पुरानी दरगाह को ढहाए जाने की बात सुनकर लोगों को काफी हैरानी हो रही है। दरगाह के इमाम मौलाना अब्दुल रहीम का कहना है कि भले ही अनधिकृत जमीन पर वह दरगाह बना है, लेकिन वह धार्मिक संरचना है जो 100 साल पुरानी है। उन्होंने कहा, ‘मुझे कल डीडीए से एक फोन आया, जिसमें कहा गया कि मस्जिद ढहा दी जाएगी और हमें उसे खाली करने का आदेश दिया गया। जल्दबाजी और घबराहट में मैंने अपनी कम्युनिटी के लोगों को इस बात की सूचना दी और तभी से ही हम दरगाह की रक्षा कर रहे हैं।’ बता दें कि 1,000 वर्ग फुट पर बनी हजरत सईद भूरे शाह पीर दरगाह में एक मदरसा भी है, जिसमें करीब 200-250 बच्चे पढ़ते हैं।
लोगों का कहना है कि जिस स्थान पर वर्तमान में दरगाह है वहां 100 साल पहले तक जंगल था, वहां दलदल था और किकर के पेड़ लगे हुए थे। उस वक्त भूरे शाह ने वहां दलदल को भरकर बच्चों को पीपल के पेड़ के नीचे पढ़ाना शुरू कर दिया था। 72 वर्षीय मोहम्मद इकबाल का कहना है, ‘हम जब छोटे थे तभी से ही दरगाह के इस रूप को देखते आए हैं। हमें कहा जाता था कि रात में पीपल का पेड़ चमकने लगता है, जिसके बाद ही दरगाह बनाने का फैसला किया गया, इसे ढहाया कैसे जा सकता है।’
लोगों में बढ़ते तनाव को देखते हुए ओखला विधायक अमानतुल्लाह खान ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए लोगों को इस बात का आश्वासन दिया है कि दरगाह को ढहाया नहीं जाएगा। वहीं डीडीए के हाउसिंग कमिशनर जेपी अग्रवाल का कहना है, ‘विधायक खान के एक प्रतिनिधि मंडल ने हमसे कहा है कि धार्मिक संरचना 100 साल पुरानी है और देखा जाए तो वह कठपुतली कालोनी के अंदर नहीं आती है।
हमने उनसे इस बात को सिद्ध करने के लिए पेपर्स मांगे। फिलहाल हम इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच कर रहे हैं और जो भी कदम उठाया जाएगा वह कानून के अंदर रहकर ही उठाया जाएगा।’ इसके साथ ही अग्रवाल ने यह भी कहा है कि मस्जिद को ढहाने का फैसला कानूनी प्रक्रिया के तहत ही लिया गया था। उन्होंने कहा, ‘डीडीए सभी कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए ही काम कर रहा है।’