आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों के अयोग्य करार दिए जाने के बाद दिल्ली का सियासी माहौल गर्मा गया है. कांग्रेस ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि चुनाव आयोग और बीजेपी ने आप पार्टी को 3 सप्ताह का समय देकर उनकी मदद की है. अजय माकन ने कहा कि अगर चुनाव आयोग विधायकों को अयोग्य घोषित करने का फैसला 22 दिसंबर 2017 से पहले कर देती तो इनमें से कोई भी विधायक राज्य चुनाव में वोट नहीं डाल पाता. अजय माकन ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने दिल्लीवासियों के साथ धोखा किया है. माकन ने इसे ‘आप’ के भ्रष्टाचार का एक नमूना बताया है.
राष्ट्रपति ने दी EC की लिस्ट को मंजूरी
लाभ के पद मामले में रविवार को केंद्रीय कानून मंत्रालय ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की अयोग्यता का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. बता दें कि चुनाव आयोग ने राष्ट्रपित से सिफारिश की थी कि आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों ने 13 मार्च 2015 से 8 सितंबर 2016 तक लाभ का पद रखा था. आम आदमी पार्टी ने अपने 21 विधायकों को दिल्ली सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में संसदीय सचिव नियुक्त किया था. इन 21 विधायकों में से 1 विधायक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था इसलिए चुनाव आयोग का फैसला 20 विधायकों पर लागू होता है.
गौरव भाटिया और कपिल भी हुए हमलावर
आप के विधायकों पर आरोप लगने के बाद बीजेपी के नेता गौरव भाटिया ने कहा है कि केजरीवाल भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए राजनीति में कूदे थे. अब उन पर खुद भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, इसलिए उन्हें अब इस पद पर बने रहने का कोई हक नहीं हैं. वहीं, आप से बागी हुए कपिल मिश्रा ने कहा कि दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने संविधान का उल्लंघन किया है. मिश्रा ने कहा कि केजरीवाल को अपने काम पर पूरा भरोसा है तो उन्हें चुनाव का सामना करना चाहिए.
यह है आप के अयोग्य विधायको के नाम की लिस्ट
शरद कुमार (नरेला विधानसभा)
सोमदत्त (सदर बाजार)
आदर्श शास्त्री (द्वारका)
अवतार सिंह (कालकाजी)
नितिन त्यागी (लक्ष्मी)
अनिल कुमार बाजपेयी (गांधी नगर)
मदन लाल (कस्तूरबा नगर)
विजेंद्र गर्ग विजय (राजेंद्र नगर)
शिवचरण गोयल (मोती नगर)
संजीव झा (बुराड़ी)
कैलाश गहलोत (नजफगढ़)
सरिता सिंह (रोहताश नगर)
अलका लांबा (चांदनी चौक)
नरेश यादव (महरौली)
मनोज कुमार (कौंडली)
राजेश गुप्ता (वजीरपुर)
राजेश ऋषि (जनकपुरी)
सुखबीर सिंह दलाल (मुंडका)
जरनैल सिंह (तिलक नगर)
प्रवीण कुमार (जंगपुरा)
केंद्र ने जताई थी आपत्ति
दूसरी तरफ, केंद्र सरकार ने विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने के फैसले का विरोध करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में आपत्ति जताई. केंद्र सरकार ने कहा था कि दिल्ली में सिर्फ एक संसदीय सचिव हो सकता है, जो मुख्यमंत्री के पास होगा. इन विधायकों को यह पद देने का कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है. संविधान के अनुच्छेद 102(1)(A) और 191(1)(A) के अनुसार संसद या फिर विधानसभा का कोई सदस्य अगर लाभ के किसी पद पर होता है तो उसकी सदस्यता रद्द हो सकती है. यह लाभ का पद केंद्र और राज्य किसी भी सरकार का हो सकता है.