समूचे ट्रैफिक नियम तोड़ने के लिहाज से देखें तो इनमें महिलाओं की भूमिका बहुत नगण्य है. हालांकि दुर्घटना में होने वाली कुल मौतों में महिलाओं का हिस्सा 10 फीसदी रहा है.
दिल्ली पुलिस के अनुसार साल 2017 में दिल्ली में एक भी महिला शराब पीकर गाड़ी चलाते नहीं पकड़ी गई. लेकीन साल 2018 की बात करें तो अब तक ऐसी बस एक महिला पकड़ी गई है. यही नहीं आंकड़ों के अनुसार महिलाएं ट्रैफिक रूल भी कम तोड़ती पाई गई हैं.
. आंकड़ों के अनुसार, साल 2017 में राजधानी में ट्रैफिक से जुड़े कुल 26 लाख चालान काटे गए, जिनमें महिलाओं की संख्या महज 600 है.
पिछले साल पुलिस ने ट्रैफिक सिग्नल के उल्लंघन के लिए 1,67,867 ड्राइवरों के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जिसमें महिलाओं की संख्या महज 44 थी. इसी तरह ओवर स्पीड में गाड़ी चलाते पकड़े गए 1,39,471 लोगों में महज 514 महिलाएं थी.
दुर्घटना में शामिल महिला ड्राइवरों का हिस्सा महज 2 फीसदी ही रहा है. पुलिस का दावा है कि दिल्ली में सड़क दुर्घटनाओं की सबसे बड़ी वजह ओवर स्पीडिंग है और आमतौर पर महिलाएं स्पीड लिमिट में गाड़ी चलाती हैं.