New Delhi
देरी से चल रही ट्रेनों ने इन दिनों हर मुसाफिर को परेशान कर रखा है. इन दिनों हर शख्स के जुबान पर एक ही सवाल हैं, ट्रेनों को लेकर सिर्फ एक ही चर्चा है कि ‘अब तो मौसम भी ठीक है, फिर ट्रेनेंं देरी से क्यों चल रही हैं?’ बीते दिनों इस सवाल का एक जवाब भी आ गया है. जवाब है कि ‘मरम्मत के काम की वजह से ट्रेने देरी से दौड़ रही हैं.’ इस जवाब में सच्चाई है, लेकिन यह सच्चाई ‘अधूरी’ है. दरअसल, ट्रेनों के देरी से चलने की सबसे मूल वजह दशकों से रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रति रेलवे के पूर्व प्रबंधन और बीती सरकारों की उपेक्षा है. इसी उपेक्षा का नतीजा है कि रेलवे ट्रैक सहित पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर जर्जर हो चुका है. वर्तमान समय में जर्जर हो चुके रेल इंफ्रास्ट्रक्चर की मरम्मत के साथ उसके विकास को नई रफ्तार दी गई है. नए विकास कार्य और मरम्मत के कार्य की वजह से रेलवे की वजह से ट्रेनों की रफ्तार में थोड़ा ब्रेक लगा है. आइए हम आपको बताते हैं कि कौन-कौन सी ऐसी वजहें हैं, जिनके चलते हो रही देरी से मुसाफिरों को परेशानियों से रूबरू होने के लिए मजबूर हैं.
सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 4321 स्थानों पर चल रहा है मरम्मत का काम
जर्जर हो चुके रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए रेलवे ने नए सिरे से मेंटीनेंस प्लान तैयार किया था. इस प्लान में ट्रेनों की रफ्तार को कम से कम प्रभावित करते हुए मेंटीनेंस के काम को जारी रखने की योजना तैयार की गई थी. योजना के तहत रेलवे करीब ढाई हजार से अधिक स्थानों पर प्रतिदिन का कार्य कर रही थी. इसी बीच 19 अगस्त 2017 को मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) के खतौली नामक जगह पर पुरी से हरिद्वार जा रही कलिंग एक्सप्रेस हादसे का शिकार हो गई. इस हादसे में 23 मुसाफिरों की मौत हो गई, जबकि 123 यात्री घायल हुए थे. इस हादसे के बाद रेलवे प्रबंधन ने प्लान की एक बार फिर समीक्षा की. समीक्षा में तय हुआ कि मुसाफिरों की सुरक्षा सर्वोपरि है. लिहाजा, ट्रैक के मरम्मत का कार्य प्राथमिकता में रखा जाए. नतीजतन रेलवे ट्रैक की मरम्मत के कार्य को युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया गया. वर्तमान समय में रेलवे करीब 4321 स्थानों पर रोजाना ट्रैक के मरम्मत का काम कर रहा है. मरम्मत के काम को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए रेलवे ने मरम्मत के स्थानों पर ब्लॉक टाइम करीब 19 फीसदी तक बढ़ा दिया है. ब्लॉक टाइम के दौरान उक्त सेक्टर पर ट्रेनों का परिचालन नहीं किया जाता है. ब्लाक टाइम बढ़ने की वजह से ट्रेनों की रफ़तार में भी असर पड़ा है. जिसके चलते ट्रेने लेट हो रही हैं.
रेलवे ट्रैक पर क्षमता से 50 फीसदी अधिक ट्रेनों का किया जा रहा है परिचालन
रेलवे के अनुसार वर्तमान समय में नार्दन सेंट्रल जोन में परिचालित होने वाली रेलगाड़ियों के आवागमन में सर्वाधिक देरी दर्ज की जा रही है. दरअसल, इस देरी की एक वजह ट्रैक की क्षमता से अधिक ट्रेनों का परिचालन भी है. हजारीबाग (पटना) से दिल्ली को जोड़ने वाले दो प्रमुख ट्रैक हैं, जिसमें एक ट्रैक हजारीबाग पटना से गया, इलाहाबाद, कानपुर, टूंडला होते हुए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचता है. जबकि दूसरा ट्रैक छपरा, गोरखपुर, लखनऊ, मुरादाबाद होते हुए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचा है. इन दोनों ही ट्रैक पर क्षमता से बहुत अधिक ट्रेनों का परिचालन किया जा रहा है. उदाहरण के तौर पर गया से इलाहाबाद के बीच क्षमता से 30 फीसदी, इलाहाबाद से कानपुर के बीच क्षमता से 37 फीसदी, कानपुर से टूंडला के बीच क्षमता से 50 फीसदी, टूंडला से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के बीच क्षमता से 25 फीसदी अतिरिक्त ट्रेनों का परिचालन किया जा रहा है. इसी तरह गोरखपुर लखनऊ के बीच 20 फीसदी, लखनऊ से मुरादाबाद के बीच 30 फीसदी और मोरादाबाद से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के बीच क्षमता से 10 फीसदी अतिरिक्त ट्रेनें चलाई जा रही हैं. ट्रैक में अत्याधिक ट्रेनों के परिचालन के चलते उत्पन्न हुए कंजेशन के चलते ट्रेने लेट हो रही हैं.
रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए कई सेक्शन में चल रहे हैं काम
ट्रैक पर ट्रेनों के दबाव को कम करने के लिए रेलवे सिंगल लाइन को डबल लाइन, डबल लाइन को तीन या चार लाइन में तब्दील कर रहा है. इसके अलावा, कई इंटरसेक्शन में लाइन के इलेक्ट्रिफिकेशन का काम चल रहा है. वहीं मानव रहित रेलवे क्रासिंग पर लगातार हो रहे हादसों को देखते हुए रेलवे इस साल के अंत तक ब्राड गेज लाइन पर स्थिति सभी मानव रहित रेलवे क्रासिंग को खत्म करने का काम कर रहा है. रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार जिन स्थानों पर मरम्मत या निर्माण का कार्य चल रहा है, वहां पर बेहद सीमित रफ्तार से ट्रेनों को चलाया जा रहा है. यह सीमित रफ्तार काम खत्म होने के दो दिन बाद तक जारी रहती है, जिससे पुख्ता किया जा सके कि ट्रैक पर किसी तरह की कोई खामी नहीं रह गई है. ट्रेनों की रफ्तार सीमित होने के चलते मुसाफिरों की यात्रा का समय बढ़ रहा है.
अचानक आने वाली तकनीकी दिक्कतें भी ट्रेनों को कर रही हैं विलंब
रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार रोजाना रेलवे परिचालन में सामने आने वाली तकनीकी दिक्कतें भी ट्रेनों को विलंब कर रही है. इन तकनीकी दिक्कतों में सिग्नल फेल होना, इंजन फेल होना, बैगेज में गड़बडी, इलेक्ट्रिक डिफेक्ट भी शामिल है. इसके अलावा कई बार ट्रेन की किसी बोगी का एयर कंडीशनर खराब हो गया तो ट्रेन को स्टेशन पर रोक का मरम्मत करानी पड़ती है. इसकी वजह से भी ट्रेनें लेट होती है. इसी तरह यात्रा के दौरान इस तरह की कई व्यवहारिक समस्याएं आती हैं, जो ट्रेनों को लेट करने में सहायक बनती हैं.
चेन पुलिंग और प्रदर्शन जैसी घटनाएं भी ट्रेनों के परिचालन को करती हैं प्रभावित
रेलवे के अनुसार कानून-व्यवस्था भी ट्रेनों को देर करने में एक अहम भूमिका अदा करती हैं. रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार ट्रेन में चेन पुलिंग की रोजाना सैकड़ो घटनाएं सामने आती हैं. जिस ट्रेन में चेन पुलिंग की गई है वह ट्रेन तो प्रभावित होती ही है साथ ही उस ट्रैक पर पीछे आ रही सभी ट्रेने भी बिना कारण प्रभावित हो जाती हैं. इसके अलावा, विरोध प्रदर्शन, खराब मौसम और दुर्घटनाओं के चलते कई ट्रेने लेट हो जाती हैं.
आंकड़ों के खेल ने ट्रेन की देरी को बनाया मुद्दा
रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार आंकड़ों के खेल ने भी ट्रेनों की देरी को एक मुद्दा बना दिया है. उन्होंने बताया कि अभी तक ट्रेनों की समयबद्धता जानने के लिए मैनुअल रिकार्ड तैयार किए जाते थे. किसी भी तरह की कार्रवाई से बचने के लिए अक्सर इन आंकड़ो में हेरफेर की संभावना बनी रहती थी. रेलवे ने इस सिस्टम को ऑटोमैटिक कर दिया है. अब एक साफ्टवेयर के जरिए ऑटोमैटिक तरीके से ट्रेनों के आवागमन का समय दर्ज किया जा रहा है. आंकड़ों में होने वाली बदमाशी खत्म होने और सही आंकड़े सामने आने के चलते भी भी ट्रेनों की समयबद्धता पर असर दिख रहा है.
“रेलवे की प्राथमिकता है कि मुसाफिर समय पर अपने गंतव्य पर पहुंचे. लिहाजा, रेलवे ट्रैक पर युद्ध स्तर पर मेंटीनेंस का काम चल रहा है. जिससे मुसाफिरों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके. बेहतर भविष्य के लिए वर्तमान में मुसाफिरों को ट्रेनों के विलंब परिचालन के चलते कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. वर्षों के बैक लॉग के चलते रेलवे की मेंटीनेंस का काम लंबे समय तक चलेगा. हमारी कोशिश है कि यथाशीघ्र रेलवे नेटवर्क को सुविधा संपन्न और सुरक्षित बनाकर मुसाफिरों की यात्रा को सुगम किया जाए.” – अश्वनी लोहानी, चेयरमैन, रेलवे बोर्ड