12 साल तक की बच्चियों के साथ रेप के मामले में केंद्र सरकार द्वारा फांसी की सजा का प्रावधान किए जाने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने मामलों का तेजी से निपटारे (एक साल के अंदर) के लिए मंगलवार को दिशा निर्देश जारी किए. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने सभी राज्यों के हाईकोर्ट से कहा है कि वो तीन सदस्यीय जजों की कमेटी गठित करें, जो पॉक्सो एक्ट के तहत चल रहे ट्रायल की मॉनिटरिंग और रेगुलेट कर सके. कोर्ट ने कहा कि डीजीपी और उसके समकक्ष अधिकारी स्पेशल टास्क फोर्स का गठन करें ताकि जांच सही तरीके से हो सके. कोर्ट ने गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी सही कदम उठाए जाने को कहा.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा 12 साल तक की बच्चियों से दुष्कर्म के मामलों पर दिशा निर्देश जारी करने के बाद ऐसे मुकदमों का समयबद्ध तरीके से निपटारा हो सकेगा. इस दिशा निर्देश के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता और पेशे से वकील अलख आलोक श्रीवास्तव की जनहित याचिका का निपटारा भी कर दिया है.
12 साल तक की बच्चियों से रेप पर फांसी की सजा का प्रावधान
केंद्र सरकार ने 12 साल तक की बच्चियों के साथ रेप के मामले में फांसी की सजा का प्रावधान कर दिया था. इसके लिए पॉक्सो ऐक्ट में बदलाव के लिए ऑर्डिनेंस जारी कर दिए गए हैं. आपको बता दें कि 16 दिसंबर, 2012 को निर्भया रेप और मर्डर केस के बाद रेप के कानून में बदलाव के लिए आवाज उठाई गई थी. इसके बाद ही रेप कानून में सख्त सजा का प्रावधान किया गया. बदले कानून के तहत रेप पीड़िता मरणासन अवस्था में पहुंच जाए तो फांसी की सजा का प्रावधान किया गया था.
इस वकील ने की थी पॉक्सो एक्ट में बदलाव की मांग
सुप्रीम कोर्ट में वकील अलख आलोक श्रीवास्तव की एक जनहित याचिका लंबित है. जिसमें, छोटे बच्चों के साथ दुष्कर्म पर चिंता जताते हुए कानून को कड़ा किए जाने की मांग की गई थी. कोर्ट ने इस याचिका पर सरकार से जवाब मांगा था. सरकार की ओर से एडीशनल सॉलिसिटर जनरल के जरिए एक नोट पेश कर बताया गया था कि सरकार पोक्सो कानून में संशोधन कर 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से दुष्कर्म के दोषी के लिए मृत्युदंड का प्रावधान करने पर विचार कर रही थी.
लड़कों के साथ भी हो न्याय
बारह वर्ष से कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म के दोषियों को मौत की सजा वाला अध्यादेश लागू करने के बाद केंद्र सरकार यौन शोषण के शिकार लड़कों के साथ भी न्याय करना चाहती है. सरकार लिंग भेद खत्म करने के लिए पॉक्सो एक्ट में संशोधन करने की तैयारी में है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल पर जानकारी शेयर करते हुए कहा कि, सरकार हमेशा जेंडर न्यूट्रल (लिंग भेद रहित) कानून विकसित करने के लिए प्रयासरत रही है. इसके लिए पॉक्सो यानी प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है ताकि यौन शोषण के शिकार लड़कों को न्याय मिल सके.