उच्चतम न्यायालय ने 45 साल बाद ‘ बर्बर ’ हत्या के एक मामले में चार व्यक्तियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया तथा एक व्यक्ति को दोषी करार दिया. इस बर्बर हत्या के मामले में शव को दो टुकड़ों में काटकर अलग – अलग जगह फेंक दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने चार को बरी किया
शीर्ष अदालत ने गांव के एक बाहुबली की दोषसिद्धि और सजा को बरकरार रखा. न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति मोहन एम शांतनागोदर की पीठ ने कहा कि अभियोजन ने दोषी कामेश्वर सिंह के खिलाफ अपना मामला वाजिब संदेह से परे जाकर साबित किया है. हालांकि न्यायालय ने तार्केश्वर सिंह , बहादुर राम काहर , बिक्रम दुसाध और नगीना कोइरी को संदेह का लाभ दिया और उनकी रिहाई के आदेश दिए.
उच्चतम न्यायालय पटना उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रहा था. उच्च न्यायालय ने निचली अदालत की ओर से पांचों दोषियों को दी गई उम्रकैद की सजा की पुष्टि की थी.
14 अक्टूबर 1973 को हुई थी हत्या
14 अक्टूबर 1973 को बिहार के सासाराम जिले में मध्य रात्रि में सात लोगों ने गुप्तेश्वर सिंह नाम के एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी. पुलिस को बाद में शव दो हिस्सों में कटा मिला था. सबूत मिटाने के लिए सिर और शरीर के अन्य हिस्सों को अलग अलग स्थानों पर फेंक दिया गया था.
निचली अदालत ने आरोपियों को दोषी करार दिया था और उन्हें सजा दी थी. इस बीच, दो आरोपियों की मौत हो गई थी. बाद में उच्च न्यायालय ने पांचों आरोपियों की दोषसिद्धि और सजा की पुष्टि की थी. पांचों आरोपियों ने इस फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी. शीर्ष अदालत ने चार लोगों को रिहा करने के आदेश देते हुए कहा कि रिकॉर्ड में लाए गए सबूत उनकी संलिप्तता के बारे में संदेह पैदा करते हैं और संदेह सबूतों का स्थान नहीं ले सकता है.