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वड़ोदरा से दिल्ली लगभग 1100 किलो मीटर की प्लास्टिक पदयात्रा करने के लिए तैयार महिला

प्लास्टिक से देश/दुनिया की जलवायु पर कितना हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है इस बात का हम लोगों को अंदाजा तो है लेकिन जैसी की हमारी फितरत है कि जब तक हमारी जान पर नहीं बन आती तब तक हम जागते ही नहीं और जब जागते हैं तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। विश्व भर के समुद्रों में इतना प्लास्टिक कचरा जमा हो गया है कि समुद्री जीवों की जिंदगी ख़तरे में पड़ गई है। लाखों समुद्री प्रजातियों का अस्तित्व तो बिल्कुल समाप्त हो चुका है।

जलवायु परिवर्तन के तौर पर जो हम असमय बारिश, सर्दी, गर्मी, बाढ़,आंधी और तूफान देख रहे हैं वो हमारी ही करतूतों का परिणाम है। लेकिन हमें क्या, हम तो सुधरने से रहे भइया। मगर कोई है जो समय रहते प्लास्टिक के हानिकारक प्रभावों को न सिर्फ जान पाया है बल्कि उसने लोगों को प्लास्टिक के घातक परिणामों के प्रति जागरुक करने का बीड़ा भी अपने कंधे पर उठा लिया है और वह है वड़ोदरा की एक 32 वर्षीय क्रांतिकारी महिला।

जी हां महिला को हम ऐसे ही क्रांतिकारी नहीं कह रहे। आज प्लास्टिक प्रदूषण जितनी विकराल समस्या बन गया है उसके प्रति लोगों को जागरुक करना किसी क्रांति से कम नहीं। यह महिला वड़ोदरा से दिल्ली लगभग 1100 किलो मीटर की प्लास्टिक मार्च(पदयात्रा) करने जा रही है।

और कारवां बनता गया

वैसे तो इस बहादुर महिला ने अपने खुद के दम पर लोगों को जागरुक करने की कसम खाई थी, लेकिन वो कहते हैं न कि जब आप किसी नेक काम के लिए कदम बढ़ाते हैं तो कारवां खुद-ब-खुद बनता चला जाता है। कुछ ऐसा ही वाक़या इस महिला के साथ भी घट रहा है।

उसकी इस मुहीम में उसके साथ गुजरात ट्यूरिज्म और यूएन एन्वायर्नमेंट के साथ-साथ आमजन भी जुड़ते जा रहे हैं। उम्मीद है कि देश के कम से कम पढ़े लिखे लोग महिला के इस प्लास्टिक मार्च के महत्व को समझेंगे और प्लास्टिक न उपयोग करने की शपथ लेंगे। लेखक सागर भारद्वाज महिला की यात्रा की कद्र करते हुए नवोदय टाइम्स के पाठकों से प्लास्टिक न उपयोग करने की अपील करते हैं। धन्यवाद

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