In Madhya Pradesh New party can spoil the game of Congress-BJP.
मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में अब सामान्य और ओबीसी वर्ग का राजनीतिक संगठन सपाक्स भी दावा करेगा। सपाक्स ने मंगलवार को मध्यप्रदेश में एक नया राजनीतिक दल सपाक्स पार्टी बनाते हुए घोषणा की है कि इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रदेश की सभी 230 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी।
बता दे कि मध्य प्रदेश सपाक्स समाज के संरक्षक हीरालाल त्रिवेदी को इस नई पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया है। सपाक्स यानी सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था मध्य प्रदेश के अधिकारियों कर्मचारियों का संगठन है। सपाक्स पार्टी के अध्यक्ष बनने के बाद हीरालाल त्रिवेदी ने बताया कि सपाक्स ने दो अक्टूबर को मध्यप्रदेश में नया राजनीतिक दल सपाक्स पार्टी बनाने की औपचारिक घोषणा की है। यह पार्टी मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव में सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और शीघ्र ही प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया जाएगा।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सपाक्स विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी का खेल बिगाड़ सकती है। पांच हजार से कम मार्जिन की जीत वाली दो दर्जन सीटों के परिणाम को सपाक्स प्रभावित कर सकता है। कहा तो यह भी जा रहा है कि सबसे ज्यादा नुकसान बीजेपी को हो सकता है। और ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि ओबीसी वर्ग में ज्यादातर लोग बीजेपी के साथ हैं। यहां तक की पार्टी के नेताओं में भी इस बात को लेकर चिंता है। 2013 के परिणामों पर नजर डाली जाए तो दर्जन भर से ज्यादा सीटें ऐसी हैं जिन पर हार-जीत का अंतर लगभग 5 हजार के आसपास रहा है। वहीं पार्टी सूत्रों का कहना है कि सपाक्स जिन क्षेत्रों में खड़ी होगी वहां दो से तीन हजार वोट काट सकती है।
वहीं दूसरी ओर पार्टी के नवनिर्वाचित संगठन महासचिव सुरेश तिवारी ने बताया कि इस पार्टी में चार उपाध्यक्ष भी बनाये गये हैं, जिनमें भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी विजय वाते, भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी वीणा घाणेकर, स्वास्थ्य विभाग के पूर्व निदेशक के एल साहू एवं बैतूल के उद्योगपति राजीव खंडेलवाल सम्मिलित हैं।
उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम एवं प्रमोशन में आरक्षण का विरोध हमारा मुख्य मुद्दा होगा। तिवारी ने बताया कि सपाक्स समाज आरक्षण और पिछड़ों का विरोधी नहीं है। जो पिछड़े हैं उन्हें आगे लाने के लिए आरक्षण मिलना चाहिए। पर यह जाति या धर्म के आधार पर नहीं बल्कि आर्थिक स्थिति के आधार पर होना चाहिए। जिन्हें एक बार आरक्षण मिल गया है, उन्हें फिर से नहीं मिलना चाहिए। एससी-एसटी में एक विशेष वर्ग आरक्षण का लाभ ले रहा है, जबकि पिछड़ों को लाभ नहीं मिल रहा है।