The first day of school in life and seven years old innocent girl was raped and ruthlessly murdered.
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ग्वालियर।
ग्वालियर के कैंसर पहाड़ी के जंगल में जब लगभग 7 साल की मासूम की लाश मिली तो उसके पिता पर मानो पहाड़ टूट पड़ा क्यूंकि अभी उसकी उम्र ही क्या थी जो किसी किसी के जननांगो में उत्तेजना पैदा कर सके। पिता शव देखकर वहीं बेसुध होकर गिर पड़ा। बच्ची की नाक,मुंह और चेहरा खून से सना था। सिर में भी काफी चोट थी। मन में बस एक ही सवाल उठता रहा कि कोई इस कदर कैसे एक मासूम बच्ची के लिए बेरहम हो सकता है।
उस मासूम बच्ची के शव की हालत देखकर उसके साथ जो अत्याचार हुआ वो सब अपने आप बयां हो रहा था, वो जगह उस बच्ची की मौत के एक एक पल की गवाही दे रहे थे कि तरह से उसे लालच देकर साथ ले गए और आरोपी ने मासूम पर कितने अत्याचार किए हैं। पोस्टमार्टम के बाद पुलिस को डॉक्टर ने बताया है कि -“बच्ची के साथ आरोपी ने बहुत हैवानियत बरती है। जबरदस्ती उसके साथ आप्राकृतिक गलत काम किया गया है। उसने गलत हरकत का विरोध किया तो सिर के बल जमीन पर पटका गया है। उसकी मौत मुंह, नाक और गला एक साथ दबाने के कारण दम घुटने से हुई है। जिस समय उसके साथ गलत हरकत हुई उस समय वह होश में थी। गलत काम के बाद उसकी हत्या की गई है।”
मासूम के पिता ने बताया कि प्रिया (परिवर्तित नाम) को अभी तीन दिन पहले ही नए स्कूल में एलकेजी में भर्ती कराया था। बुधवार को स्कूल का पहला दिन था और वह स्कूल से लौटने के बाद शादी में जाने के लिए निकली थी। पर यह कोई नहीं जानता था कि यह उसका आखिरी दिन बन जाएगा। अब मेरी बेटी कभी स्कूल नहीं जा पाएगी।
निकम्मी पुलिस को देखिये जब पिता ने अपनी बच्ची के गम हो जाने कि बात कही तो टालमटोल कर उन्हें थाने से टरका दिया। जब पिता ने खुद बच्ची को ढूंढ़ने का फैसला लिया तो उन्हें ये इस बात का अंदाज़ा ही नहीं था कि उनकी बच्ची उन्हें इस हालत में मिलेगी। मासूम की तलाश में जुटे इस बदनसीब पिता ने गुरुवार सुबह 5 बजे कम्पू थाने पहुंचकर मामले की सूचना दी। जिसके बाद वहां बैठे मुंशी ने कन्ट्रोल रूम को डिटेल नोट करा दी। पर इसके बाद कम्पू थाने का कोई पुलिस अधिकारी, जवान व बीट इंचार्ज न तो मौके पर पहुंचा न ही कोई स्थिति जानने का प्रयास किया।
परिजन परेशान होते रहे, बच्ची के पिता ने कई बार पुलिस के सामने गिड़गिड़ाते हुए मदद मांगी, लेकिन पुलिस का निर्दयता से एक ही जवाब रहता था- हाँ हाँ करते हैं, मामला दर्ज। जब सुबह 9.30 बजे फुटेज में एक युवक बच्ची को ले जाता दिखा तो बेबस पिता ने डायल 100 को कॉल किया। इसके बाद भोपाल से प्वाइंट मिलने के बाद डायल 100 पहुंची। इसके बाद भी पुलिस सिर्फ औपचारिकता कर चली गई। पुलिस कि कार्यशैली पर भी प्रश्नचिन्ह उठता है कि जिस तरह से शहर में पिछले कुछ दिन में जो वारदात घटी हैं बदमाश वारदातों को अंजाम देकर फरार हो जाते हैं। घटना के बाद पुलिस अधिकारी कार्रवाई करने में देर करते हैं या फिर सही दिशा में प्रयास नहीं करते हैं। पिछले कुछ मामले बयां कर रहे हैं कि शहर में बदमाश कितने बेखौफ हैं।
1. मासूम को एक युवक अपने साथ आइस्क्रीम या चॉकलेट का लालच देकर ले जाता है और उसके साथ हैवानियत का ऐसा खेल खेलता है। पुलिस को सूचना भी दी, लेकिन अपनी ड्यूटी सही से नहीं निभाई। इसके बाद रात तक आरोपी पुलिस की पकड़ में नहीं आ सका।
2. सिटी सेंटर में पुलिस जवानों पर गोलियां चलाकर बैंक के सामने टोल प्लाजा के सुपरवाइजर से 24 लाख रुपए लूटने वाले बदमाश आज भी फरार हैं। पुलिस उन तक पहुंचना तो दूर उनका सुराग तक नहीं लगा पाई है।
3. घर में घुसकर वृद्धजनों पर लगातार घटनाएं हो रही हैं। जिसे रोक पाने में और सुरक्षा देने में पुलिस नाकाम साबित हुई है।
शहर की कैंसर पहाड़ी एरिया बदमाशों का गढ़ बन गया है। यहां की आम जनता की हमेशा से शाशन और प्रशासन से मांग होती रही है कि यहाँ असामाजिक तत्व सक्रिय रहते हैं और पुलिस नदारद रहती है। चाहे वह नाबालिग छात्राओं से गलत हरकत कर वीडियो वायरल करना हो। घूमने पहुंचने वालों से छेड़छाड़ व लूट की घटनाएं हों। पर इसके बाद भी कैंसर पहाड़ी पर पुलिस की कोई उपस्थिति कभी नजर नहीं आती। यहां के घने जंगल, परिस्थितियां और पुलिसिया ढंग कैसे वहां के आसपास रहने वाले असामाजिक तत्वों को मदद करती हुई नजर आती हैं ,इसके प्रमाण की अब कोई आवश्यकता नहीं रह गयी है।
अब देखना ये है कि महिला सुरक्षा का शोर मचाने वाले शासन, प्रशाशन और पुलिस की नींद कब खुलती है?