योगी आदित्य नाथ के संगठन हिंदू युवा वाहिनी के बढ़ते कद से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) परेशान है। हिंदू युवा वाहिनी का बढ़ता कद बीजेपी के लिए परेशान करने वाला इसलिए भी है क्योंकि यह संगठन राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) से ना जुड़े होने के बावजूद लोगों के बीच लोकप्रिय होता जा रहा है। हिंदू युवा वाहिनी को योगी आदित्यनाथ ने तब बनाया था जब वह गोरखपुर के सांसद बने थे। पहले हिंदू युवा वाहिनी पूर्वांचल और पूर्वी यूपी के क्षेत्र में मशहूर था लेकिन योगी के सीएम बनने के बाद स्थिति बदल गई। योगी के सीएम बनने के बाद हिंदू युवा वाहिनी के सदस्यों की संख्या में जैसे बाढ़ सी आ गई।
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी हिंदू युवा वाहिनी के बढ़ते कद के प्रति विरोध जताया था। वाहिनी का नाम लिए बिना मौर्य ने कहा था कि ‘आउटसाइडर’ के बढ़ते प्रभाव को बर्दाशत नहीं किया जाएगा। मौर्य विश्व हिंदू परिषद के पुराने सदस्य हैं। खबर के मुताबिक, जब योगी को यूपी का सीएम चुना गया था तब भी बीजेपी के सीनियर नेताओं ने सवाल खड़े किए थे कि संघ की जगह हिंदू युवा वाहिनी जैसे स्वंतत्र संगठन से किसी को कैसे चुना जा सकता है। लेकिन बाद में यह कहकर सबको राजी कर लिया गया कि संगठन धीरे-धीरे संघ में भी मिल जाएगा।
लेकिन हिंदू युवा वाहिनी और योगी आदित्य नाथ के गुरु योगी अवेद्यनाथ अपनी अलग पहचान रखने के लिए जाने जाते रहे हैं। 2002 में गोरखपुर से योगी आदित्य नाथ ने राधा मोहन दास अग्रवाल को सपोर्ट किया था। उस जगह से बीजेपी ने भी उम्मीवार उतारा था। हालांकि, राधा मोहन चुनाव जीतकर बीजेपी में शामिल हो गए थे।
फिलाहल हिंदू युवा वाहिनी ने एक साल तक कोई नया सदस्य नहीं बनाने का एलान किया है लेकिन यह साफ नहीं है कि इससे भाजपा और संघ की नाराजगी दूर होगी या नहीं।