लखनऊ.10वीं पास करते ही शादी। पढ़ाई-लिखाई की उम्र में पत्नी की जिम्मेदारी। पैसा कमाने के लिए 15-20 किमी पैदल चलना। ऐसा संघर्ष करने वाले शत्रुघन तिवारी आज 300 करोड़ के टर्नओवर वाली कंपनी के मालिक हैं। इस बिजनेसमैन ने कहा, मेरे पास यूपी के युवाओं को नौकरी देने के लिए एक मास्टर प्लान, इसे सीएम योगी जी से शेयर करना चाहता हूं।
योगी के सामने रखेंगे 100 करोड़ के प्रोजेक्ट का प्रपोजल…
– लुधियाना में रह रहे शत्रुघन आदित्यनाथ योगी से मुलाकात करने राजधानी आए हैं। उन्होंने बताया, “सीएम के सामने 100 करोड़ के टेक्सटाइल प्रोजेक्ट का प्रपोजल रखने के लिए अपॉइंटमेंट लिया है। मैं यूपी में कपड़ा उद्योग, धागा मिल, और टेक्सटाइल्स में करीब 100 करोड़ के इन्वेस्टमेंट की प्लानिंग कर रहा हूं। योगी जी के सीएम बनने से पहले मैं उनसे गोरखपुर में मिला था। उम्मीद है उन्हें प्रपोजल अच्छा लगेगा।”
पिताजी के ऑर्डर पर की थी 15 की उम्र में शादी
– यूपी के गोंडा जिले के निवासी शत्रुघन तिवारी का नाम पंजाब के बड़े बिजनेसमैन में शुमार है। वे शिवा (बेटे का नाम) ओवरसीज लिमिटेड नाम से पंजाब में टेक्सटाइल कंपनी के मालिक हैं।
– शत्रुघन ने बताया, “1982 में हाई स्कूल पास होते ही मेरी रिश्तेदारों के दबाव में शादी हो गई। पिताजी का मानना था, यही शादी की सही उम्र है, कहीं लड़का गलत संगत में न पड़ जाए। तब मैं 15 साल का था। पिताजी की बात मान ली। पढ़ाई-लिखाई की उम्र में पत्नी की जिम्मेदारी सिर पर आ गई।”
– शत्रुघन ने बताया, “1982 में हाई स्कूल पास होते ही मेरी रिश्तेदारों के दबाव में शादी हो गई। पिताजी का मानना था, यही शादी की सही उम्र है, कहीं लड़का गलत संगत में न पड़ जाए। तब मैं 15 साल का था। पिताजी की बात मान ली। पढ़ाई-लिखाई की उम्र में पत्नी की जिम्मेदारी सिर पर आ गई।”
दुकानों में पार्ट टाइम जॉब करके निकालता था फीस
– उन्होंने बताया, “मैंने गरीबी को बहुत नजदीक से देखा है। 1986 में लखनऊ यूनिवर्सिटी में एलएलबी के लिए एडमिशन लिया। उस समय खाने तक के पैसे न थे। मैं रिश्तेदार और दोस्तों के घर कभी-कभी सिर्फ इसलिए जाता था, ताकि भोजन मिल सके।”
– “कॉलेज के साथ दुकानों में पार्ट टाइम वर्कर से लेकर ट्यूशन पढ़ाने जैसी कई जॉब की। तब जाकर यूनिवर्सिटी की फीस और अन्य खर्चे पूरे होते थे। कभी-कभी पैसे न होने पर गांव से लखनऊ लौटते समय बिना टिकट ट्रेन में चढ़ जाता था।”
– “मैंने शुरुआत में कोर्ट प्रैक्टिस करने की कोशिश की, लेकिन वहां जमना बेहद मुश्किल था। कोई इनकम नहीं होती थी, ऊपर से पूरे परिवार को मैनेज करने की समस्या थी। फिर मैंने लाइन चेंज की और एक रिश्तेदार के साथ पंजाब नौकरी करने आ गया।”
– “कॉलेज के साथ दुकानों में पार्ट टाइम वर्कर से लेकर ट्यूशन पढ़ाने जैसी कई जॉब की। तब जाकर यूनिवर्सिटी की फीस और अन्य खर्चे पूरे होते थे। कभी-कभी पैसे न होने पर गांव से लखनऊ लौटते समय बिना टिकट ट्रेन में चढ़ जाता था।”
– “मैंने शुरुआत में कोर्ट प्रैक्टिस करने की कोशिश की, लेकिन वहां जमना बेहद मुश्किल था। कोई इनकम नहीं होती थी, ऊपर से पूरे परिवार को मैनेज करने की समस्या थी। फिर मैंने लाइन चेंज की और एक रिश्तेदार के साथ पंजाब नौकरी करने आ गया।”
’15-20 किमी चला पैदल, 9 साल सीखा काम करने का तरीका’
– उन्होंने बताता, “मैं 1991 में पंजाब आया। वहां मुझे एक टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज में मार्केटिंग एग्जिक्यूटिव की नौकरी मिली। बैग में धागे लेकर उन्हें बेचने के लिए लगभग 15-20 किमी पैदल चलता था और हाथ में सैलरी आती थी कुल 3 हजार।”
– “3 साल की कड़ी मेहनत के बाद मेरा प्रमोशन प्रोडक्शन मैनेजर की पोस्ट पर हुआ फिर यूनिट मैनेजर की जिम्मेदारी मिली। 9 साल उस कंपनी में काम करने के दौरान मैंने टेक्सटाइल बिजनेस की बारीकियों को सीखा।”
– “3 साल की कड़ी मेहनत के बाद मेरा प्रमोशन प्रोडक्शन मैनेजर की पोस्ट पर हुआ फिर यूनिट मैनेजर की जिम्मेदारी मिली। 9 साल उस कंपनी में काम करने के दौरान मैंने टेक्सटाइल बिजनेस की बारीकियों को सीखा।”
जिस कंपनी में करते थे जॉब, अब वही है इनकी कस्टमर
– कंपनी की शुरुआत कैसे हुई, इस पर शत्रुघन ने बताया, “मुझे लगने लगा था कि 9 साल के एक्सपीरिएंस से खुद की कंपनी शुरू हो सकती है। साल 2000 में पिताजी से 1 लाख रु, पत्नी से 2 लाख और खुद की 2 लाख की एफडी तोड़कर बिजनेस के लिए 5 लाख रु. जुटाए। आज मेरी कंपनी का टर्नओवर 300 करोड़ रुपए है।”
– “मेरा सबसे बड़ा अचीवमेंट है, जिस कंपनी में नौकरी करता था, आज वही मेरी कस्टमर है। एक्सपोर्ट भी करता हूं।”
– “मेरा सबसे बड़ा अचीवमेंट है, जिस कंपनी में नौकरी करता था, आज वही मेरी कस्टमर है। एक्सपोर्ट भी करता हूं।”
पत्नी रही सबसे बड़ा सपोर्ट
– शत्रुघन ने बताया, “शुरुआत में लगता था कि कम उम्र में शादी करने से मेरा समय खराब हो गया। अब लगता है, वो बेस्ट डिसीजन था। मेरी वाइफ मेरा सबसे बड़ा सपोर्ट है।”
– “कंपनी शुरू करते समय मैंने सारी जमा पूंजी लगाते हुए लाइफ का सबसे बड़ा रिस्क लिया। ऐसा लगता था कि कहीं भूखे मरने की नौबत न आ जाए, लेकिन पत्नी ने पूरा सपोर्ट किया।”