अयोध्या में भगवान राम के भजन, शिक्षा और नियमित यज्ञों का आयोजन करने वाला राम-रामायण संग्रहालय बनाने की सरकार की योजना किसी मंदिर के लिए एक आदर्श प्रतिरूप हो सकती है। पिछले साल अक्तूबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले राम संग्रहालय का निर्माण करने की इच्छा जाहिर की थी और इसके लिए उत्तरप्रदेश के अयोध्या में एक स्थान भी चिह्नित कर लिया गया था। लेकिन अखिलेश यादव की सरकार ने इस जमीन को आवंटित करने से मना कर दिया था। दरअसल यह संग्रहालय अखिलेश सरकार के अधीन नहीं आना था।
मार्च में जब राजनीतिक परिदृश्य बदला तो योगी आदित्यनाथ सरकार ने सरयू नदी के किनारे पर 25 एकड़ जमीन जारी की और अब केंद्र एवं उत्तरप्रदेश सरकार के सहयोग से 225 करोड़ रूपए की लागत से संग्रहालय बनाया जाएगा। सूत्रों द्वारा हासिल किए गए परिकल्पना परिपत्र (कंसेप्ट नोट) के अनुसार, मुख्य ढांचा राम मंदिर के विवादित स्थान से लगभग छह किलोमीटर दूर होगी। यह एक भव्य मंदिर जैसा होगा और ‘राम दरबार’ में खुलेगा। इसमें वर्चुअल रिएलिटी और थ्री डी डिस्पले जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल होगा, जिन्हें प्राचीन परंपराओं का प्रदर्शन करने के लिए उपयोग किया जाएगा।
यह नोट कहता है कि संग्रहालय श्रद्धालुओं के साथ-साथ पर्यटकों के लिए भी है। यह भगवान राम की शिक्षाओं का प्रतीक होगा। इस नोट को राम अवतार ने तैयार किया, जो केंद्र द्वारा गठित रामायण सर्किट नेशनल कमेटी के अध्यक्ष हैं।
भगवान राम का अध्ययन करने वाले एक शोधकर्ता उन्हें किसी की कल्पना की उत्पत्ति नहीं बल्कि एक ऐतिहासिक हस्ती बताते हैं। बहरहाल, धर्मग्रंथों से परे और रामायण आधारित लोककथाओं से परे इस बात का कोई अकादमिक साक्ष्य नहीं है कि भगवान राम का अस्तित्व रहा है।
अवतार ने संवाददाताओं से कहा कि उनकी शिक्षाएं सिर्फ हिंदुओं तक सीमित नहीं हैं। सभी धर्मों के लोगों के लिए भगवान राम का अपार महत्व है। संग्रहालय उनकी शिक्षाओं के ऐसे बहुत से पहलुओं को उजागर करेगा, जिन्हें विज्ञान समझ नहीं पाया है।
अवतार संग्रहालय के पीछे कोई राजनीतिक एजेंडा होने की बात से इनकार करते हैं। यह संग्रहालय 18 माह में पूरा होना है, जो कि वर्ष 2019 के आम चुनाव से ठीक पहले है। भारतीय जनता पार्टी राम मंदिर के मुद्दे को चुनाव प्रचार में उठा सकती है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्राचीन इतिहास के प्रोफेसर हर्ष कुमार ने कहा, ‘‘जब तक संग्रहालय बनाने के पीछे का उद्देश्य सांस्कृतिक और भारतीय परंपराओं को बढ़ावा देने का है, मुझे कोई समस्या नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन यदि यह राजनीतिक एजेंडा है, तो मुझे इस बात का डर है कि वे राम का प्रतिनिधित्व कैसे करेंगे? मेरा मानना है कि भगवान राम पूरी तरह एक काल्पनिक चरित्र हैं अैर इतिहास में उनके अस्तित्व के बारे में कोई साक्ष्य नहीं है। हालांकि भारत में उनकी भारी पारंपरिक एवं सांस्कृतिक लहर है।’’
संग्रहालय की योजना में एक यज्ञशाला भी शमिल है, जिसमें पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए और हिंदू धर्म में यज्ञ जैसी प्रथाओं का महत्व लोगों को समझाने के लिए हर सुबह और शाम यज्ञ किए जाएंगे। दरबार की दीवारों पर भगवान राम के जीवनकाल से जुड़ी कलाकृतियां एवं भित्तियां होंगी। एक अन्य कक्ष एंपीथियेटर जैसा होगा, जिसमें पर्यटक बैठकर थ्री डी दृश्यों एवं ऑडियो के साथ भगवान राम का जीवन देख सकते हैं।
नोट में कहा गया, ‘‘पर्यटकों को लगेगा कि भगवान राम उनके समक्ष अपना जीवन जी रहे हैं।’’ यह संग्रहालय राजधानी दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर से और नेशनल साइंस सेंटर में हाल ही में आयोजित सरदार पटेल पर आधारित प्रदर्शनी से प्रेरणा लेगा।