उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि उत्तराखण्ड एवं उत्तर प्रदेश के बीच लम्बित प्रकरणों का निस्तारण शीघ्र किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दोनों प्रदेशों के मुख्य सचिव तीन माह में लम्बित प्रकरणों के निस्तारण के लिए बैठक कर आवश्यक निर्णय लेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य के गठन की लम्बी अवधि बीत जाने के बावजूद अभी तक बड़ी संख्या में मामलों का निपटारा न हो पाना दोनों राज्यों के हित में नहीं है। इसलिए इस कार्य को अविलम्ब प्राथमिकता पर समयबद्ध रूप से पूरा किया जाना आवश्यक है।
मुख्यमंत्री आज यहां अपने सरकारी आवास पर उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के साथ लम्बित प्रकरणों एवं परिसम्पत्तियों के निस्तारण के सम्बन्ध में विचार-विमर्श कर रहे थे। उन्होंने बैठक के दौरान प्रदेश के सभी सम्बन्धित विभागों के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव को निर्देशित किया कि अपने विभागीय प्रकरण के सम्बन्ध में शासन की टिप्पणी प्रत्येक दशा में 10 मई, 2017 से पूर्व उत्तराखण्ड सरकार को प्रेषित करना सुनिश्चित करें।
ज्ञातव्य है कि उत्तराखण्ड एवं उत्तर प्रदेश के मध्य जिन परिसम्पत्तियों से सम्बन्धित प्रकरण लम्बित हैं, उनमें सिंचाई, ऊर्जा, परिवहन, वित्त, आवास, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, गृह, पर्यटन, प्रशिक्षण एवं तकनीकी शिक्षा, सूचना एवं जनसम्पर्क तथा पशुपालन विभाग शामिल हैं। इनके अलावा वन, ग्राम्य विकास, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास, माध्यमिक शिक्षा, औद्योगिक विकास, सहकारिता विभाग एवं उत्तराखण्ड राज्य भण्डारागार निगम के प्रकरण भी लम्बित हैं।
बैठक में प्रदेश के सिंचाई मंत्री श्री धर्मपाल सिंह सहित सम्बन्धित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।