ब्यूरो S.I.न्यूज़ टुडे-(पुष्पेन्द्र प्रताप सिंह): अवैध बालू खनन में अनियमिताओं को लेकर मुख्यमंत्री योगी द्वारा गोण्डा जिला प्रशासन को दी गयी चेतावनी के बाद भी जिलाप्रशासन के कुछ अधिकारियों ने बड़ी चालाकी से अपने नजदीकी खनन माफियाओं को बचाने का पूरा प्रयास किया है। एक तरफ जहां जिलाधकारी जे.बी.सिंह द्वारा अवैध खनन को रोकने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ गोण्डा A.D.M द्वारा सोनौली मोहम्मदपुर में की गई जांच में ज़मीनी हकीकत कुछ और ही नज़र आ रही है। स्थानिय सूत्रों की मानें तो सोनौली मोहम्मद पुर में R.R.B Construction द्वारा किये जा रहे बालू खनन के आंड़ में जगह जगह खेतों में अवैध बालू खनन किया गया है जिसको ADM द्वारा पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया जा चुका है। तरबगंज तहसील के इस क्षेत्र में ग्रामीणों द्वारा पूर्व में भी कई बार खनन की अनियमितताओं को लेकर प्रशासन से शिकायत की गई है। लेकिन रसूखदार खनन माफिया देवेंद्र सिंह उर्फ राजू और खनन ठेकेदार मृनेन्द्र मिश्रा पर कभी भी आंच नहीं आयी। और इन माफ़ियाओं द्वारा आज भी बालू का अवैध व्यापार धड़ल्ले से किया जा रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि यहां के लेखपाल रामशंकर ओझा की भी अवैध बालू खनन में संलिप्तता है जिसको छुपाने के लिए लेखपाल द्वारा जांच आने पर माफ़ियाओं के पक्ष में रिपोर्ट लगायी जाती रही है। आपको बता दे लेखपाल रामशंकर ओझा पर पूर्व में भी अवैध खनन कराने का आरोप लगा, जिसके चलते इनको समाजवादी सरकार में सस्पेंड होना पड़ा था। हमारे द्वारा पूर्व में भी पड़ताल करने पर यह पाया गया था कि सोनौली मोहम्मदपुर माजरा रघुबैस पुरवा में गाटा संख्या 972 रकबा मात्र 1 हेक्टेयर के क्षेत्र में खनन कराने का पट्टा सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है। लेकिन सूत्रों की मानें खनन माफियाओं द्वारा R.R.B Construction की आंड़ में लगातार इस्माइल पुर में भोला सिंह मास्टर, सोनौली में ओम प्रकाश तिवारी, और दान पुरवा में स्थित अनमोल सिंह, राजेश्वरी सिंह, राममिलन घरुक और रामअवध घरूक के खेतों में भी अवैध बालू खनन का कार्य किया जाता रहा है। और हैरानी की बात यह है कि जगह जगह खेत खुदे होने के बावजूद भी प्रशासन को अपनी जांच में सब कुछ सही नज़र आ रहा है। सूत्रों की माने तो सोनौली मोहम्मदपुर में हो रहे अवैध बालू खनन में की गई काली कमाई की मलाई का स्वाद काफी ऊपर तक पहुंचाया जाता है। और खनन क्षेत्र को मिली क्लीन चिट इस बात को और भी पुख्ता करती है कि मुख्यमंत्री की कड़वी दवा के बावजूद भी काली कमाई की मलाई की मिठास प्रशासन के जहन में अभी भी बाकी है।
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