तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई और इस मुद्दे पर देशभर में छिड़ी बहस का नतीजा जो भी आए, लेकिन इस मुहिम से मुसलिम महिलाओं में जागरूकता जरूर बढ़ गई है। अभी तक शौहर या ससुराल के रहमो-करम पर जी रही महिलाएं अब तलाक को लेकर जागरूक हो गई हैं। पढ़े लिखे और अमीर लोग ही नहीं, बल्कि गरीब तबके भी महिलाएं भी अब महज तीन बार तलाक कह कर पल्ला झाड़ने वाले अपने शौहर व उसके परिवार से दो-दो हाथ करने को तैयार हैं। पंचायत के जरिए मसले का हल नहीं निकलने पर मुसलिम समाज की महिलाएं अब अपने अधिकारों के लिए कोर्ट-कचहरी और पुलिस थानों तक में जाने से कतई परहेज नहीं कर रही हैं। समाज से जुड़े कई बुद्धिजीवी इसे एक सार्थक पहल मान रहे हैं।
दादरी में पीतल वाली मस्जिद के पास रहने वाली खुशबू (बदला हुआ नाम) का निकाह 3 साल पहले गुलावटी, बुलंदशहर के रहने वाले मोहम्मद यूसुफ (बदला हुआ नाम) के साथ निकाह हुआ था। खुशबू के परिजनों ने निकाह में अपनी हैसियत से ज्यादा खर्च किया था। खुशबू का शौहर यूसुफ आॅटो चालक है। आरोप है कि डेढ़ साल की बच्ची होने के बावजूद यूसुफ और उसके परिवार वाले खुशबू पर तरह-तरह के इल्जाम लगाते थे और उसके साथ मारपीट भी करते थे। मारपीट और कहासुनी से आजिज आकर खुशबू ने जब भी जवाब देने की कोशिश की, तो उसकी आवाज दबा दी गई। बताया गया है कि मार्च, 2017 में यूसुफ ने नाराजगी में खुशबू से पीछा छुड़ाने की कोशिश की और तीन बार तलाक कहकर भाग गया।
खुशबू के परिजनों को जब इसका पता चला, तो उन्होंने समझौता कराने की कोशिशें शुरू कीं। कोशिशें नाकाम रहने पर खुशबू के परिजनों ने 22 मार्च को दादरी थाने में मामले को लेकर शिकायत की। 15 अप्रैल को मामला दादरी थाने से सेक्टर-39 स्थित महिला थाने में भेजा गया। यूसुफ और उसके परिवार वाले किसी भी तरह से बात मानने को तैयार नहीं हैं। जिसके कारण खुशबू के 161 के बयान दर्ज कराए गए हैं।खुशबू के भाई ने बताया कि तीन साल से ही यूसुफ और उसके परिवार वाले उसकी बहन को परेशान कर रहे थे। हैसियत नहीं होेने पर भी उनकी जायज और नाजायज मांगें तक पूरी की गई थीं, लेकिन उनकी हवस खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। हालांकि दोनों परिवारों के कुछ बुजुर्गों ने अभी भी समझौता कराने का दावा किया है, जिसके कारण खुशबू के घरवाले अभी पुलिस पर कार्रवाई के लिए दबाव नहीं डाल रहे हैं।