उत्तर प्रदेश की ताज नगरी में नागालैंड की एक महिला अपने दो बच्चों के साथ सड़क पर घूमती हुई नजर आई। महिला नागालैंड के दीमापुर की रहने वाली है और वह आगरा पैसे कमाने के लिए आई थी, जिससे वह अपने गिरवी रखे बेटे को छुड़ा सके। दरअसल महिला के पति की 7 महीने पहले मौत हो गई थी। महिला के पास इतना पैसा नहीं था कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार कर सके। पति के संस्कार के लिए महिला ने महाजन से 2000 रुपए उधार लिए। उधार के बदले में उसे महाजन के पास अपने बेटे को गिरवी रखना पड़ा। बेटे को महाजन से छुड़ाने के लिए महिला अपने एक रिश्तेदार के साथ यहां आई। महिला को ताजनगरी में नौकरी तो नहीं मिली लेकिन रहने खाने की दिक्कतों से जरुर जूझना पड़ा।
महिला ने बताया कि महाजन ने सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में बेटे को रखा है। बेटे को छुड़ाने के लिए उन्होंने नागालैंड के चाय के बगान में नौकरी करना शुरू किया, जहां उसे 40 रुपए प्रतिदिन मिलते थे। महिला को पता था कि इन पैसों के जरिए बेटे को छुड़ाना आसान नहीं है। महिला ने अपनी इस परेशानी के बारे में अपने रिश्तेदार को दी। रिश्तेदार महिला से नौकरी दिलाने का वादा करके उसे आगरा लेकर आया। महिला अपने दो बच्चों को भी साथ लेकर आया। हालांकि उसका रिश्तेदार नौकरी दिलवाने के बजाए महिला को उसकी हालत पर छोड़कर फरार हो गया। आगरा पहुंची महिला के पास खाने के पैसे नहीं थे और न ही रहने का कोई ठिकाना था। इसके चलते महिला अपने बच्चों के साथ सड़क पर रहने को मजबूर थी। महिला अपने दो बच्चे को नाली का पानी पिला रही थी। इसी दौरान एक दुकानदार की नजर पड़ी। उसने पानी खरीदकर उसे पिलाया। महाजन ने बेटे से मिलने पर पाबंदी लगाई तो महिला ने उसका नाम अपने हाथ पर लिख लिया।
महिला को इस तरह देखकर एक सामाजिक कार्यकर्ता ने उससे बातचीत की और इस बात की जानकारी एक सामाजिक संस्था और पुलिस को दी। महिला की हालत को देखकर दुकानदारों ने महिला की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया और चंदा करके उसे 3500 रुपए दिए। ताकि वह अपने घर जा सके और अपने बच्चे को महाजन के कब्जे से छुड़ा सके।