एचडीएफसी बैंक के अधिकारी ने बंधक संपत्ति के मूल दस्तावेज मुंबई स्थित हेड ऑफिस में होने की बात कही। बताया कि ऋण खाता बंद होने के 15-20 दिन बाद बंधक संपत्ति के दस्तावेज की सूचना संपत्ति मालिक को दी जाती है।
रूपेश का कहना है कि देवल व भावना रस्तोगी 26 अप्रैल 2014 को बैंक ऑफ बड़ौदा की चौक शाखा पहुंचकर बंधक बने फ्लैट के दस्तावेज सौंपते हुए बताया कि एचडीएफसी बैंक से मूल दस्तावेज मिल गए हैं।
दोनों ने बैंक में कागजी खानापूरी की। कई महीनों बाद जब किस्तें अदा नहीं हुईं तो बैंक ऑफ बड़ौदा ने 90 लाख के बकाया का नोटिस भेजा। कोई नतीजा न निकलने पर नॉन प्रॉफिट एसेट करके पिछले साल 19 अक्तूबर 2016 को बंधक संपत्ति की नीलामी का इश्तहार छपवाया।
बगैर मिलीभगत के ऐसा संभव नहीं
बैंक ऑफ बड़ौदा की तरफ से बंधक संपत्ति की नीलामी की कार्रवाई चल ही रही थी तभी केनरा बैंक की अमीनाबाद शाखा द्वारा 18 दिसंबर 2016 को उसी संपत्ति की नीलामी का इश्तहार छपवाया गया। इस पर बैंक ऑफ बड़ौदा के अधिकारियों ने छानबीन शुरू कराई।
पता चला कि देवल व भावना रस्तोगी ने बैंक में फर्जी दस्तावेज जमा किए थे। बैंक ऑफ बड़ौदा की टीम ने केनरा बैंक में तहकीकात की। पता चला कि दोनों ने वहां भी फ्लैट बंधक रखकर कर्ज लिया था और किस्तें अदा नहीं करने पर नीलामी की कार्रवाई की जा रही है।
बैंक ऑफ बड़ौदा की चौक शाखा के मुख्य प्रबंधक रूपेश सिंघल का कहना है कि 90 लाख की धोखाधड़ी का पता चलने पर उन्होंने 20 अप्रैल को चौक कोतवाली में तहरीर दी। पुलिसकर्मियों ने सीओ की मंजूरी के बगैर केस दर्ज करने से इन्कार कर दिया। अगले दिन सीओ चौक से शिकायत की।
उन्होंने जांच के बाद कार्रवाई की बात कहकर चलता कर दिया। दो हफ्ते बाद भी कोई नतीजा न निकलने पर एसएसपी को अर्जी दी। इस पर केस दर्ज करके तफ्तीश एसआई अमरजीत सिंह को सौंपी गई।
जानकारों के मुताबिक बैंक कर्ज देने से पहले ऑनलाइन चेक करते हैं। पैन कार्ड, एड्रेस, फोन नंबर के जरिये ट्रैक किया जा सकता है कि संबंधित शख्स और कहीं तो कर्ज नहीं ले रखा है। जानकारों का कहना है कि बिना मिलीभगत के एक ही संपत्ति पर तीन बैंकों से कर्ज हासिल कर पाना संभव नहीं है