यूपी में योगी आदित्य नाथ की सरकार बनने के बाद भाजपा के कार्यकर्ता सरकारी पद पाने के लिए इन दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पदाधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। योगी के सत्ता संभालने के बाद भाजपा कार्यकर्ता आरएसएस पदाधिकारियों से मिल रहे हैं ताकि वार्षिक संघ शिक्षक वर्ग या प्रारंभिक ट्रेनिंग कैंपस (ITC) में उनकी जगह सुनिश्चित हो सके। ये ट्रेनिंग कैंप्स हर साल अक्टूबर में संघ द्वारा हर जिले में आयोजित किए जाते हैं। सूत्रों के मुताबिक ज्यादातर पार्टी कार्यकर्ताओं का मानना है कि रेज्यूमे में कैंप के बारे में मेंशन करना सरकार कोरपोरेशन और बोर्ड में उनकी नियुक्ति में मदद कर सकते हैं।
एक हफ्ते तक चलने वाले वार्षिक संघ शिक्षक वर्ग में आरएसएस अपने स्वयंसेवकों को संगठन, विचारधारा, पृष्ठभूमि, कार्य प्रणाली और प्रोग्राम के बारे में बताते हैं। क्लास 10वीं की परीक्षा पास करने वाले और नियमित आरएसएस की शाखा में जाने वालों का इन कैंपों के लिए चयन किया जाता है। कैंप पूरा होने के बाद जो लोग आरएसएस के साथ काम करने की इच्छुक होते हैं उनका चयन ऑफिशियल ट्रेनिंग कैंप (OTC) के लिए किया जाता है। पहले दो ओटीसी का आयोजन प्रांतीय और क्षेत्रीय स्तर पर होते हैं, जबकि तीसरा ओटीसी का आयोजन आरएसएस मुख्यालय नागपुर में होता है।
एक आरएसएस पदाधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि गई सरकार के गठन के बाद सरकारी वकीलों, कोरपोरेशन तथा बोर्डों के चेयरपर्सन और राज्य सरकार के सलाहकारों को लेकर भागदौड़ शुरू हो गई है। जिसे लेकर बहुत से लोग आरएसएस के जिला और प्रांत प्रचारक से मिल रहे हैं ताकि आईटीसी में एंट्री पा सके। जिन लोगों की प्रकिया के बारे में नहीं पता है कि सीधे ओटीसी में प्रवेश लेने के लिए संपर्क कर रहे हैं। संघ पदाधिकारी ने कहा कि ये लोग ओटीसी इसलिए अटेंड करना चाहते हैं क्योंकि राज्य सरकार ने सरकारी पदों को भरना शुरू कर दिया है।
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ दोनों ही आरएसएस से ताल्लुक रखते हैं और वह आरएसएस कार्यकर्ताओं की ईमानदारी पर भरोसा करते हैं। इसी के चलते जो लोग सरकारी पोस्टिंग चाहते हैं वह इन कैंपों से जुड़ना चाह रहे हैं। ताकि वह अपने रेज्यूमे में दावा कर सके कि वह आरएसएस से संबंध रखते हैं।