Thursday, December 12, 2024
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यूपी: कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने नदियों में लगाई डुबकी…

SI News Today

लखनऊ: भगवान विष्णु को बेहद प्रिय मास कार्तिक की पूर्णिमा पर आज प्रदेश में श्रद्धालुओं ने सुबह से ही नदियों के घाट का रुख किया। कार्तिक पूर्णिमा आज पूरे देश में मनाई जा रही है। इस पर्व पर नदियों में स्नान के साथ पूजन अर्चन की परम्परा है।

प्रदेश में इलाहाबाद, वाराणसी, कानपुर, गोरखपुर के साथ ही अन्य शहरों में से श्रद्धालुओं ने नदियों में डुबकी लगाई। वाराणसी में कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा नदी के घाट पर श्रद्धालु बड़ी संख्या में उमड़ पड़े। यहां के दशाश्वमेध घाट पर सर्वाधिक भीड़ थी। यहां पर गंगा नदी में स्नान करने वालों का रेला लग गया। गोदौलिया क्षेत्र में श्रद्धालुओं की भीड़ एकत्र हो गई थी।

गोरखपुर व बस्ती मंडल में महिला, पुरुष और बच्चे अलस्सुबह स्नान करने नदियों के किनारे पर एकत्र हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं भक्ति गीत गाते हुए पहुंची और स्नान किया।

संगमनगरी इलाहाबाद में भी संगम के घाट पर भारी भीड़ थी। इसके साथ ही दारागंज में यमुना के तट पर तथा मनकामेश्वर मंदिर के पास यमुना नदी में स्नान करने बड़ी संख्या में लोग उमड़ पड़े हैं। कानपुर में भी गंगा नदी के हर घाट पर भारी भीड़ जमा है। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लोगों ने स्नान कर दान-पुण्य किया।संगम नगरी इलाहाबाद में कार्तिक पूर्णिमा के स्नान पर्व के मौके पर गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी पर श्रद्धालुओं का सैलाब उड़ पड़ा है। सुबह से श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं।

इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु संगम तट पर पूजा अर्चना के साथ ही दानपुण्य भी कर रहे हैं। साथ ही संगम तट पर ही श्रद्धालु सत्यनारायण की कथा का श्रवण भी कर रहे हैं। कार्तिक पूर्णिमा के स्नान पर्व का विशेष महत्व भी है। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक मास के आखिरी स्नान पर्व कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान मात्र से ही सभी मनोकामनायें पूर्ण होती हैं और पापों से भी मुक्ति मिलती है। इस मौके पर गंगा और यमुना नदियों में श्रद्धालु दीपदान भी करते हैं और कार्तिक पूर्णिमा को ही देव दीपावली का भी पर्व मनाया जाता है।

आज यहां नदियों के किनारे गोदान, अन्नदान और सत्य नारायण व्रत कथा का भी कार्यक्रम जारी है। रायबरेली के डलमऊ में कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई। डलमऊ गंगा घाट पर हजारों की संख्या में लोग गंगा स्नान कर रहे हैं।

अमरोहा कार्तिक पूर्णिमा के स्नान को हर घाटों पर जुटे श्रद्धालु
हर हर गंगे, जय हो गंगे मैया की। आधी रात गुजरते ही गंगा तट पर पहुंचे श्रद्धालुओं ने इन्हीं उद्घोष के साथ आस्था की डुबकी गंगा नदी लगानी शुरू कर दी। कार्तिक पूर्णिमा के मुख्य स्नान के लिए लाखों श्रद्धालु दूर दूर से ऐतिहासिक तिगरी गंगा मेला पहुंचे।

लाखों की तादात में श्रद्धालु अपने अपने डेरो में ठहरे थे तो इतने ही विभिन्न संस्थाओं के शिविरों में धार्मिक, सामाजिक संगठनों के नेताओं और राजनैतिक दलों के नेताओं के भाषण सुनने में मशगूल थे काफी बड़ी संख्या में श्रद्धालु टेंट व स्थान के अभाव में कोहरे में मेला स्थल पर सड़कों के किनारे खुले आसमान में टहल कर सिर्फ सुबह होने का इंतजार कर रहे थे। इसके बाद जैसे ही दिन निकला घाटों पर स्नान कर पूण्य लाभ कमाने को भीड़ बढ़ती जा रही थी। यह सिलसिला शाम तक चलने की उम्मीद है। सुरक्षा की दृष्टि से थाना पुलिस, पीएसी के गोताखोर लगे थे। इधर घाटों पर ढोल नगाड़ों के साथ नवविवाहित जोड़े भी घाटो पर माँ गंगे की पूजा करते नजर आ रहे थे। बच्चों का मुंडन भी चल रहा था।

झूले सर्कस और तम्बू में रौनक
मुख्य स्नान के दिन झूले सर्कस और मनोरंजन के अन्य साधनों पर खूब भीड़ नजर आई। यही हाल मेला स्थल पर लगे शिविरों का था। इन स्थानों पर ग्राहकों की भीड़ से दुकानदार व्यस्त थे।

श्रद्धालुओं की घर वापसी ने बढ़ाई जाम की समस्या
मुख्य स्नान के साथ ही श्रद्धालुओं ने घर वापसी शुरू कर दी। गंगा में डुबकी लगाकर एक साथ घर जाने के लिए ट्रैक्टर ट्राली इत्यादि वाहन लेकर मेले से निकले तो जाम की स्थिति बन गई। जाम शुक्रवार को भी लगा था। लम्बा जाम होने के कारण श्रद्धालुओं को तिगरी पहुँचने में काफी परेशानी से जूझना पड़ा था। हालाँकि पुलिस सड़क व चौराहे पर जाम खुलवाने को मशक्क़त करने में जुटी थी। पुलिस अधिकारी भी दौरे पर थे।

ट्रैक्टर ट्राली की दुर्घटना में तीन की मौत
बुलंदशहर में गंगा नदी का स्नान करने जा रहे श्रद्धालुओं की ट्रैक्टर ट्रॉली पलट गई। जिससे तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई है। दुर्घटना में एक दर्जन घायल हैं। सभी लोग यहां के शिकारपुर थाना क्षेत्र के बड़ौदा गांव के रहने वाले हैं।

क्या है कार्तिक पुर्णिमा का महत्व
शास्त्रों के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन शाम भगवान श्रीहरि मत्स्यावतार के रूप में प्रकट हुए थे। भगवान विष्णु के इस अवतार की तिथि होने की वजह से आज किए गए दान, जप का पुण्य दस यज्ञों से प्राप्त होने वाले पुण्य के बराबर माना जाता है। पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में दीपदान करने की भी परंपरा हैं। देश की सभी प्रमुख नदियों में श्रद्धालु दीपदान करते हैं।

कार्तिक पूर्णिमा पर इस बार राजलक्षण योग, रसकेशरी योग, गजकेशरी, आनंद और महापद्म योग का संयोग बना है जो अति फलदायी है। गुरु और सूर्य के एक ही राशि में होने से राजलक्षण, शुक्र व चंद्रमा के आमने-सामने रहने से रसकेशरी और गुरु के केन्द्र में चंद्रमा के रहने से गजकेशरी योग का संयोग बना है। इस संयोगों में गंगास्नान और भगवान हरि और शिव की पूजा करने से पूर्व जन्म के साथ इस जन्म के भी सारे पाप नाश हो जाते हैं।

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