Friday, December 27, 2024
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यूपी: विकास दर दहाई तक ले जाने के लिए एक पखवारे में रोडमैप

SI News Today

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि उत्तर प्रदेश के विकास दर 7.9 फीसद से दहाई तक लेकर जाना है। उत्तर प्रदेश के विकास की दर दस फीसद करने के लिए एक कार्यकारी ग्रुप का गठन किया गया है। यह ग्रुप 15 दिन में विकास का रोडमैप तैयार करेगा।

बुधवार को योगी आदित्यनाथ लोकभवन में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इसके पहले उन्होंने योजना भवन के वैचारिकी सभाकक्ष में नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. अरविन्द पानगडिय़ा के नेतृत्व में आए उच्च स्तरीय प्रतिनिधि मंडल के साथ लंबी बैठक की। दिनभर बैठक के बाद पत्रकार वार्ता में योगी के साथ डॉ. पानगडिय़ा, नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद्र और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत के अलावा प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने भी विचार व्यक्त किए। प्रतिनिधि मंडल के साथ बैठक में कुपोषण, शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी रेखा और बुंदेलखंड जैसे गंभीर विषयों पर चर्चा हुई। नीति आयोग और भारत सरकार से आए अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश की बदहाली और सुधार के दस बिन्दुओं पर प्रजेंटेशन दिया। मुख्यमंत्री ने कहा प्रदेश सरकार विकास को गति देने के लिए अपने संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के लिए लगातार प्रयास कर रही है। अपेक्षित सफलता तभी मिल पाएगी जब भारत सरकार से संसाधनों की कमी को समय से पूरा किया जाएगा। आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. पानगडिय़ा ने भरोसा दिया कि उप्र के विकास में संसाधनों की कमी नहीं आने दी जाएगी। डॉ. पानगडिय़ा ने ही कार्यकारी ग्रुप के गठन का प्रस्ताव रखा। नीति आयोग के सदस्य डॉ. रमेश चंद्र, सीइओ अमिताभ कांत, सलाहकार नीति आयोग, प्रदेश सरकार की ओर से स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, नियोजन का एक कार्यकारी ग्रुप गठित किया गया है। यह सभी विभागों को कार्यवाही के लिए बिन्दु चिह्नित करेगा। सभी विभाग इस रोड मैप पर कार्रवाई करेंगे।

मातृ और शिशु मृत्यु दर रोकने पर जोर

नीति आयोग के सीइओ अमिताभ कांत के प्रस्तुतीकरण में यह बात आई कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश काफी पीछे है। प्रदेश में मातृ-मृत्यु दर 285, पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर 64 एवं शिशु मृत्यु दर 50 है। 12-23 माह के बच्चों में पूर्व प्रतिरक्षण की दर मात्र 22.7 फीसद है। यह लक्ष्य रखा गया है कि 2030 तक मातृ-मृत्यु दर 70, पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर 25 तक पहुंचाया जा सके और बच्चों का शत प्रतिशत पूर्ण प्रतिरक्षण हो।

2030 तक सभी को मुफ्त शिक्षा

प्रदेश में साक्षरता की दर 67.68 प्रतिशत है। पुरुष साक्षरता की दर 77.28 प्रतिशत है जबकि महिला साक्षरता की दर 57.18 प्रतिशत है। शिक्षा ही प्रदेश के उज्ज्वल भविष्य की कुंजी है। यह लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक बालक-बालिकाओं को मुफ्त, समान और गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक एवं माध्यमिक स्तर की शिक्षा का सुलभ बनाया जा सके। गांव से शहरों की ओर पलायन रोकने के लिए ग्राम स्तर पर मूलभूत अवस्थापना सुविधाओं का विकास किया जाएगा तथा कौशल उन्नयन के लिए स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण की व्यवस्था होगी। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार सभी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए कृतसंकल्प है। बुंदेलखंड तथा प्रदेश के मध्य एवं पश्चिम क्षेत्रों में गिरते हुए जल स्तर के प्रति विशेष कदम उठाए जा रहे हैं।

500 से कम आबादी की बसावट को पक्के मार्ग से जोड़ेंगे

मुख्यमंत्री ने नीति आयोग से आग्रह किया कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अन्तर्गत अब 250-499 आबादी वर्ग की पक्के मार्गों से अब तक नहीं जुड़ी बसावटों को सर्वऋतु मार्गों से जोड़े जाने की योजना पर काम किया जाए। मुख्यमंत्री ने बीपीएल परिवारों को अपेक्षित लाभ के लिए प्रत्येक पांच वर्ष में बीपीएल सर्वे कराने की मांग रखी। मुख्यमंत्री दिल्ली की बैठक में भी यह मांग उठा चुके थे।

मुख्यमंत्री ने नीति आयोग के संज्ञान में यह बात रखी कि बुंदेलखंड पैकेज की अवधि समाप्त हो गई है, जबकि अभी भी इस क्षेत्र के समन्वित विकास के लिए बहुत से कार्य कराये जाने शेष हैं। अत: इस पैकेज का विस्तार किया जाए। बुंदेलखंड क्षेत्र के विकास हेतु शीघ्र ही प्रस्ताव प्रस्तुत किए जाएंगे।

उप्र के विकास का संकल्प

मुख्यमंत्री के साथ नीति आयोग की बैठक में उत्तर प्रदेश में विकास और बदलाव की बयार बहाने के लिए गहन मंथन हुआ। उन जिलों को चिह्नित किया गया है जो बेहद कमजोर हैं। कृषि के क्षेत्र में उप्र की कमजोरी और दस प्रतिशत विकास दर सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने पर जोर दिया गया। डॉ. पानगडिय़ा ने कहा कि नीति आयोग का राज्य सरकारों से करीबी संबंध है और हर स्तर पर हम मददगार होंगे। इस दौरान कृषि उत्पादन एवं किसानों की आय बढ़ाने के विभिन्न उपाय, ग्रामीण संपर्क मार्गों की स्थापना, बेहतर ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं, ग्रामीण विद्युतीकरण, तीव्र डिजिटल कनेक्टिविटी, ग्रामीण परिवारों के लिए एलपीजी, ग्रामीण पेयजल सुविधाओं का विकास, स्वच्छ भारत मिशन का क्रियान्वयन, पोषण के स्तर में सुधार, उद्योगों की वास्तविक आवश्यकता के अनुरूप कौशल विकास, सुव्यवस्थित शहरीकरण, उच्च गुणवत्तायुक्त रोजगारोन्मुख एवं सर्वसुलभ शिक्षा और कानून का शासन स्थापित करने पर जोर दिया गया। पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के साथ ही श्रम कानून और भूमि सुधार भी एजेंडे में शामिल था।

शीघ्र लागू होगी नई औद्योगिक नीति

नीति आयोग के साथ हुई बैठक में प्रदेश में उद्योगों को बढ़ाये जाने की जरूरत महसूस की गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शीघ्र ही नई औद्योगिक नीति लाई जाऐगी। नियमों और प्रक्रियाओं का सरलीकरण कर सिंगल विंडो सिस्टम लागू किया जाएगा ताकि लालफीताशााही एवं इंस्पेक्टर राज की दखलंदाजी समाप्त हो सके। टैक्स रिफार्म जैसे कदम भी उठाए जा रहे हैं।

जल संरक्षण के लिए होगा विशेष कार्य

मुख्यमंत्री ने भूगर्भीय जल का कम उपयोग करने और जल संरक्षण के लिए विशेष योजना बनाने पर जोर दिया। प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में खारे पानी एवं आर्सेनिक एवं फ्लोराइड प्रभावित जल की विकट समस्या के स्थाई समाधान हेतु बड़े पैमाने पर सरफेस सोर्स आधारित ग्रामीण पेयजल परियोजनाओं के लिए नीति आयोग का सहयोग मांगा।

नीति आयोग का 17 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल

उप्र के विकास के लिए नीति आयोग का 17 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल आया था जिसमें उपाध्यक्ष डॉ. पानगडिय़ा, सदस्य रमेश चंद्र, सीइओ अमिताभ कांत के अलावा सचिव डीआइपीपी रमेश अभिषेक, सचिव ग्राम्य विकास अमरजीत सिन्हा, अपर सचिव अनिल कुमार जैन, अपर सचिव कृषि उत्पल कुमार सिंह, संयुक्त सचिव, स्वास्थ्य मनोज झलानी, संयुक्त सचिव स्कूल शिक्षा अनीता करवाल, संयुक्त सचिव डीआइपी शैलेन्द्र सिंह, संयुक्त सचिव बाल एवं महिला कल्याण राजेश कुमार, संयुक्त सचिव पेयजल अरुण बोरोका, सलाहकार नीति आयोग आलोक कुमार, सुश्री मनिंदर कौर, निदेशक पेयजल राजेश कुमार, निदेशक डब्लूसीडी केबी सिंह और उपाध्यक्ष के निजी सचिव डॉ. प्रेम सिंह शामिल थे।

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