लखनऊ: सपा के प्रांतीय सम्मेलन में पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव को नहीं बुलाया गया. पांच अक्टूबर को आगरा में होने जा रहे राष्ट्रीय अधिवेशन में भी उनको आमंत्रित नहीं किया गया. लिहाजा मुलायम खेमे की तरफ से पलटवार करते हुए पहले लोहिया ट्रस्ट के सचिव पद से अखिलेश यादव के करीबी रामगोपाल यादव को हटाकर शिवपाल यादव को इस पद पर तैनात किया गया, अब उसके अगले कदम की घोषणा मुलायम सिंह करने जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि वह समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का गठन कर सकते हैं. दरअसल इसका कारण यह है कि इस मोर्चा का गठन कुछ महीने पहले शिवपाल यादव ने करने की घोषणा की थी लेकिन अभी तक यह मूर्त रूप नहीं ले सका है. लिहाजा इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि मुलायम सिंह के अगले रुख के चलते यह मोर्चा अस्तित्व में आ सकता है.
वैसे भी अब अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी के भीतर शिवपाल खेमा पूरी तरह से हाशिए पर चला गया है. प्रांतीय सम्मेलन में अखिलेश यादव ने ‘नकली’ समाजवादियों से साधवान रहने की जो घोषणा की, उसको भी शिवपाल के ऊपर निशाना साधने की दृष्टि से देखा जा रहा है. हालांकि इस बीच लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने दावा किया है कि मुलायम सिंह यादव और उनके छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव अपने पुराने संगठन लोकदल के बैनर तले एक ‘सेक्युलर मोर्चा’ बना सकते हैं. सुनील सिंह को भी सोमवार को होने वाली प्रेस कांफ्रेंस में आमंत्रित किया गया है. इस वजह से भी ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं.
लोकदल से नाता
लोकदल से मुलायम सिंह यादव का बेहद पुराना नेता है. 1980 में यूपी में वह लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए. 1982-1985 के दौरान वह लोकदल(बी) के प्रदेश अध्यक्ष चुने गए. उनके नेतृत्व में ही इस पार्टी ने उस साल के चुनावों में 85 सीटें जीतने में सफलता हासिल की थी और वह विपक्ष के नेता बने थे. लोकदल का चुनाव निशान ‘हल जोतता किसान’ है.