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गोण्डा जिलाप्रशासन के लापरवाही से सड़े 5000 क्विंटल अनाज में भ्रष्टाचार की बू

Corruption of 5000 quintals of cereals rotten from negligence of Gonda district administration.

       

 

 

छोटी मछलियां ही फंसेंगी जाल में,
उनको तो सब भून कर खा जाएंगे।
बड़ी मछलियों का तो है समुंदर पे राज,
पकड़ने वाले जाल ही फट जाएंगे।
– डॉ. रामकृष्ण सिंगी

जी हाँ कुछ यही हाल हुआ है उत्तर प्रदेश के गोण्डा जिले में हुए अब तक के सबसे चर्चित खाद्यान्न घोटाले में जहाँ अधिकारियों द्वारा जब्त अनाज को सड़ा कर एक नया खेल देखने को मिल रहा है। आपको बता दें कि 27 मई 2018 को मुखबिर की सूचना पर तत्कालीन जिलाधिकारी के निर्देश पर पूर्ती निरीक्षक महेश कुमार ने वजीरगंज ब्लॉक में छापा मार कर करीब 9162 बोरा सरकारी अनाज जब्त किया था जिसकी कीमत करीब एक करोड़ रूपये आंकी गयी थी, जब्त सरकारी अनाज को तत्कालीन जिलाधिकारी जे.बी.सिंह ने नवीन फल मंडी में सुरक्षित रखवा दिया था। करोडों रुपये के इस चर्चित खाद्यान्न घोटाले को मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने संज्ञान में लेते हुए जिलाप्रशासन पर कड़ी कार्यवाही करते हुए जिलाधिकारी जे.बी.सिंह समेत तत्कालीन जिलापूर्ती अधिकारी राजीव कुमार, जिला खाद्य विपणन अजय विक्रम सिंह,पूर्ती निरीक्षक महेश कुमार,राजस्व निरीक्षक बाल मुकुंद सिंह को निलंबित किया व उपायुक्त खाद्य सतेंद्र कुमार सिंह व तत्कालीन संभागीय खाद्य नियंत्रक को विभागीय कार्यवाही के लिए निर्देशित किया था, साथ ही जिले में प्रशासनिक लापरवाही से हुए इस खाद्यान्न घोटाले में जिले के बड़े खाद्यान्न माफ़ियाओं का नाम सामने आया था।

आपको यह जानकार हैरानी होगी कि पकड़े गए करोड़ों रुपये के अनाज पर अब तक किसी ने भी किसी भी प्रकार की कोई दावेदारी नही की है जिस वजह से इस अनाज को सरकारी समझा जा रहा है। अगर नियम की बात की जाए तो 6-ए के तहत जिलाप्रशासन गोण्डा को भारी मात्रा में पकड़े गए करोड़ों रूपये के इस अनाज को समय से निस्तारित किया जाना चाहिये था तथा इसकी नीलामी खुले बाजार में करवा कर प्राप्त धनराशी को सरकारी खजाने में जमा कराया जाना चाहिए था। लेकिन इसके विपरीत वर्तमान जिलाधिकारी और जिलापूर्ती निरीक्षक ने घोर लापरवाही दिखाते हुए जब्त अनाज जो किसी गरीब का निवाला हो सकता था उस पर किसी भी प्रकार की कोई दिलचस्पी नही दिखाई और न ही 6-ए के तहत इसकी नीलामी करवाने का प्रयत्न किया जिससे सरकार के राजस्व को करोड़ों की चपत लगने की आशंका है।

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जब्त 5000 क्विंटल सरकारी अनाज को वर्तमान जिलाधिकारी द्वारा अब तक लिंकअप भी नही किया गया है जिससे चल रही विवेचना में बड़े और भ्रष्ट खाद्यान्न माफ़ियाओं को राहत मिलने के पूरे आसार हैं, और सड़े अनाज को पूर्व की तरह शराब फैक्ट्रियों और मुर्गी के दानों के लिए औने-पौने दाम पर बेचा जाएगा। हमारे सूत्रों की माने तो वतर्मान जिलाप्रशासन द्वारा अनाज सड़ने का इंतजार किया जा रहा था चूंकि सड़ा अनाज अब लिंकअप नही किया जाएगा और लिंकअप न हो पाने से भ्रष्टचारियों को राहत मिल सके इस प्रयास में अधिकारी पूरी तरह से सफल होते दिखे हैं। मजे की बात तो यह है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने अनाज जब्त करने वाले गोण्डा के तत्कालीन जिलाधिकारी जे.बी.सिंह को निलंबित कर दिया था और उनकी जगह भेजे गए वर्तमान जिलाधिकारी ने तो जब्त अनाज को सड़ा कर सरकार के राजस्व को करोडों का घाटा लगाया है तथा वर्तमान जिलाप्रशासन ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भ्रष्टचारियों को भी इसका फायदा पहुंचाया है। अब देखना यह है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जिलाप्रशासन की इस लापरवाही पर किस प्रकार की कार्यवाही करते हैं तथा सरकार के राजस्व को लगे करोड़ों रुपये के घाटे की भरपाई हेतु क्या कदम उठाए जाते हैं।

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