इलाहाबाद के सरकारी स्कूलों में बेटों से अधिक बेटियां पढ़ रही हैं। बेसिक शिक्षा परिषद के तकरीबन 1.59 लाख स्कूलों में छात्राओं की संख्या छात्रों से अधिक है। 2017-18 शैक्षिक सत्र के आंकड़ों पर गौर करें तो शहर के स्कूलों की बजाय ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में छात्राओं का संख्या और अधिक है।
प्रदेश के 1,13,273 परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 50,95,008 छात्र जबकि 53,61,426 छात्राएं हैं। इसी प्रकार 45,674 उच्च प्राथमिक स्कूलों में 15,04,869 छात्र और 16,58,131 छात्राएं हैं। स्पष्ट है कि प्राथमिक स्कूलों में छात्राओं की संख्या छात्रों से ढाई लाख से भी अधिक थी। उच्च प्राथमिक स्कूलों में बेटियों की संख्या बेटों की तुलना में डेढ़ लाख से भी अधिक थी।
बेटे अंग्रेजी और हिन्दी स्कूलों में पढ़ रही बेटियां
कक्षा आठ तक के सरकारी स्कूलों में छात्राओं की अधिक संख्या समाज में बेटे-बेटियों में भेदभाव की भावना की ओर भी इशारा करती है। यूपी में एक हजार पुरुषों पर 912 महिलाएं हैं। साफ है कि बेटियों की संख्या बेटों से कम है। इसके बावजूद सरकारी स्कूलों में बेटियों की संख्या अधिक होने से लगता है कि लोग बेटों को अंग्रेजी और बेटियों को सरकारी स्कूलों में भेज रहे हैं जहां कॉपी-किताब, बैग से लेकर ड्रेस तक मुफ्त में मिलती हैं।
इनका कहना है
सबसे पहले तो इस बात की बधाई कि लोग लड़कियों को स्कूल पढ़ने भेज रहे हैं। सरकारी स्कूलों में छात्राओं की संख्या छात्रों से अधिक होने के पीछे का कारण लोगों में भेदभाव की मानसिकता हो सकती है। यह भी हो सकता है कि लड़कियों को दूर भेजने की बजाय लोग आसपास के सरकारी स्कूल में ही दाखिला करा देते हैं।