Education friends again in Lucknow converging on demands!
अपनी मांगों को लेकर शिक्षामित्रों ने एक बार फिर से राजधानी लखनऊ में डेरा जमा लिया है. प्रदेश भर के सैंकड़ों शिक्षामित्र राजधानी के ईको गार्डन पहुंच चुके हैं. इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.
शिक्षामित्रों का कहना है कि 23 अगस्त, 2017 को उनकी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बैठक हुई थी. तब उन्होंने एकमत प्रस्ताव मांगा था जो शिक्षामित्रों ने शासन को सौंप दिया था. इस मामले में एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन भी हुआ लेकिन उसका निर्णय आज तक नहीं आया.
शिक्षामित्र बहाली न होने तक समान कार्य, समान वेतन की मांग कर रहे हैं. इनका कहना है कि मध्य प्रदेश में सरकार ने 2.35 लाख संविदा शिक्षकों का समायोजन करने का फैसला किया है. 1.85 लाख संविदा कर्मचारियों को 62 साल की उम्र तक सेवा देने के साथ अन्य विभाग की तरह सभी लाभ देने का भी फैसला हुआ है. उत्तराखंड में भी सरकार ने शिक्षामित्रों को राहत दी है. इसी तरह यूपी सरकार भी शिक्षामित्रों को राहत दे.
मालूम हो कि शिक्षामित्रों ने मार्च में भी चार दिन तक लखनऊ में जोरदार प्रदर्शन किया था. जिसके बाद मुख्यमंत्री ने शिक्षामित्रों के प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात कर उनकी समस्या का समाधान खोजने का आश्वासन दिया था. शिक्षामित्रों का आरोप है कि मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद भी उनकी मांगें जस की तस बनी हुई हैं. उनकी मांग है कि उन्हें 40 हजार की सैलरी और समायोजन के बाद मिला सहायक अध्यापक का पद दिया जाए.
उनका कहना है कि अगर मांगें पूरी नहीं हुई तो वह बड़ा आंदोलन करेंगे. शिक्षामित्रों का कहना है कि समायोजन रद्द होने के बाद से उनका जीवन बदहाल हो गया है. उनका कहना है कि सरकार सभी शिक्षामित्रों को पैराटीचर के पद पर नियुक्त करे. जब तक उनकी नियुक्ति नहीं होती, तब तक उनको समान कार्य समान वेतन मिलना चाहिए.
शिक्षामित्रों के अनुसार उनके साथ जो कुछ भी हो रहा है, वह पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है. एक सरकार ने नियुक्ति दी तो दूसरे ने समायोजन रद्द कर दिया. मालूम हो कि 25 जुलाई, 2017 को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने सूबे के करीब 1 लाख 37 हजार शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द किया था.