Thursday, November 21, 2024
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पर्यावरणविद इंजीनियर और गंगा प्रेमी प्रोo जी. डी. अग्रवाल का गंगा के लिए प्रोफेसर से सन्यासी तक दुखद अंत

SI News Today

Environmental Engineer and Ganga lover Pro. G. D. Agarwal alias Swami Gyan “Sanand” Ji.

   

दिनांक 11 अक्टूबर 2018 को प्रोफेसर जी. डी. अग्रवाल स्वामी ज्ञान स्वरूप “सानंद” जी की ऋषिकेश में हुयी मौत की खबर सुनकर कानपुर के गंगा प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई। गंगा देव दीपावली समिति के श्री अरविंद त्रिपाठी एवं महासचिव मदन लाल भाटिया ने एक प्रेस बयान में जानकारी देते हुए बताया स्वामी जी गंगा में नगरीय एवं औद्योगिक अपशिष्ट से फैलाए जा रहे जल-प्रदूषण, अवैध खनन एवं अनावश्यक रूप से बनाए जा रहे बांधों के मुद्दे पर विगत 40 वर्षों से लड़ाई लड़ते चले आ रहे थे। पर्यावरणविद जी. डी. अग्रवाल जी का कानपुर से भी नाता रहा हैल वह केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य के साथ-साथ IIT कानपुर में सिविल इंजीनियरिंग विभाग से भी जुड़े रहे। गंगा की अविरलता एवं निर्मलता के लिए प्रोफेसर अग्रवाल कई बार अनशन कर चुके हैंल इस बार भी 111 दिन के अनशन के बाद उनके प्राण पखेरू उड़ गए।

मगर सबसे बड़ा सवाल जो वो अपने पीछे छोड़ गए वो ये कि जो लोग नमामि गंगे प्रोजेक्ट को लाये वो किस हद तक गंगा को अविरल और स्वच्छ बना पाए। गंगा के प्रति उमा भर्ती जी के जज्बे को देखने के बाद ही पीएम मोदी ने उन्हें गंगा का प्रोजेक्ट सौंपा था। उन्हें केंद्रीय जल संसाधन और गंगा सफाई मामलों की मंत्री बना दिया गया था। उन्होंने कसम खाई थी कि “गंगा साफ नहीं करवा पाई तो प्राण त्‍याग दूंगी।” अपनी प्रतिज्ञा का समय पूरा होता देख और दिए गए वचन समय सीमा में भी काम होता न देख वो “नमामि गंगा प्रोजेक्ट” से हटा दी गई और पेयजल और सैनिटेशन मंत्रालय दे दिया गया, ताकि एक अच्छे वक्ता की असामयिक मृत्यु न हो।

मगर इस महान व्यक्तित्व प्रोफेसर जी. डी. अग्रवाल जी ने तो बाकायदा 111 दिनों से गंगा की सफाई के लिए उपवास रखा मोदी जी को कई पत्र लिखे। तो ऐसा क्या हुआ इस गंगा पुत्र को जो अपने वचनो से भागता फिर रहा था और प्रोफेसर साहब के पत्रों का जवाब या उनकी बात सुनने तक का समय न निकाल सका। खैर समय बहुत बलवान होता है।

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