Friday, November 22, 2024
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गाड़ियों और दुकानों को लगाई आग, इंटरनेट सेवाएं रोकी गईं: कासगंज

SI News Today

उत्तर प्रदेश के कासंगज में कर्फ्यू के बावजूद भी रविवार (28 जनवरी, 2018) को हिंसा की कुछ घटनाएं हुईं। यहां असामाजिक तत्वों ने तीन दुकानों, दो बसों और एक कार को आग के हवाले कर दिया। हालांकि किसी भी अप्रिय स्थिति के चलते और हिंसा को काबू में करने के लिए स्थानीय प्रशासन ने इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी है। एटा के डीएम आरपी सिंह ने बताया कि 27 जनवरी शाम पांच बजे से 28 जनवरी रात दस बजे तक इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी गई है। वहीं सूबे के आला अधिकारियों ने हिंसा में एक व्यक्ति की मौत के मामले में जांच के आदेश एसआईटी को दिए हैं। दूसरी तरफ पुलिस ने एक संदिग्ध व्यक्ति के घर छापा मारकर एक पिस्तौल और पेट्रोल बम बरामद किए हैं। कासगंज में सांप्रदायिक हिंसा फैलाने के आरोप में 50 लोगों से ज्यादा लोगों को भी गिरफ्तार किया है।

बता दें कि गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई सांप्रदायिक हिंसा केवल तिरंगा यात्रा के लिए रास्ता न देने के लिए हुई थी, क्योंकि दूसरे पक्ष के लोग तिरंगा फहराने के लिए सड़कों पर कुर्सी लगा रहे थे। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और इस घटना के चश्मदीदों ने बताया कि अनाधिकृत मोटरसाइकिल पर निकली तिरंगा यात्रा कासगंज के बद्दू नगर पहुंचीं, जिसने बाद में साम्प्रदायिक हिंसा का रूप ले लिया था। एक स्थानीय निवासी के मुताबिक, मोटरसाइकिल पर रैली कर रहे लोगों ने कुर्सी हटाने के लिए कहा ताकि वे वहां से निकल सके।

वकील और स्थानीय निवासी मोहम्मज मुनाज़ीर रफी ने कहा “वे नारे लगा रहे थे। हमने उनसे आग्रह किया कि पहले हमारा गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम खत्म होने दें लेकिन वे अपनी बात पर अड़े रहे और वहां से नहीं हटे।” रफी ने कहा ‘मैंने गणतंत्र दिवस मनाने के लिए 200 रुपए का अपनी तरफ से योगदान दिया था। मैं सुबह घर से कासगंज कोर्ट के लिए निकल गया था जहां पर तिरंगा फहराने का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। जब मैं वापस आया तो हमारे स्थानीय इलाके में लोग गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम के लिए कुर्सी लगा रहे थे। इसी दौरान अचानक 50-60 लोगों का एक ग्रुप बाइक पर वहां पहुंचा और कुर्सी हटाने के लिए कहने लगा।’

रफी ने कहा ‘हमने उनसे कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कहा लेकिन उन्होंने मना कर दिया। वहां कई लोग इकट्ठे हो गए और धक्का-मुक्की भी हुई। इसके बाद वे लोग अपनी बाइक लेकर वहां से निकल गए। मैंने कासगंज पुलिस को फोन किया और उन्हें घटना की जानकारी दी। इसी प्रकार की एक रैली पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित की गई थी लेकिन उस समय ऐसा कुछ नहीं हुआ था। हम देशभक्त हैं लेकिन अभी हमें देशद्रोहियों की तरह प्रदर्शित किया जा रहा है।’

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