बुधवार (22 नवंबर) को उत्तर प्रदेश नगर पालिकाओं, नगर निकायों और नगर परिषदों के चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान होगा। लोक सभा चुनाव (2014) और विधान सभा चुनाव (2017) के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) स्थानीय चुनाव में अपना दम दिखाना चाहेगी। वहीं। विधान सभा चुनाव में बुरी तरह हार का सामना करने वाली समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) इन चुनाव के माध्यम से जमीनी स्तर पर अपना दमखम दिखाने की कोशिश करेंगे। आइए आपको बताते हैं इस महत्वपूर्ण चुनाव से जुड़ी सभी जरूरी जानकारियां।
राज्य में कुल 16 नगर निगमों, 198 नगर पालिकाओं और 438 नगर पंचायतों के चुनाव होने हैं। चुनाव के नतीजे एक दिसंबर को आएंगे। ये चुनाव कुल तीन चरणों में होंगे। पहले चरण में राज्य के 24 जिलों में 22 नवंबर को मतदान होगा। दूसरे तरण में राज्य के 25 जिले 26 नवंबर को मतदान करेंगे। तीसरे चरण में 29 नवंबर को बाकी 26 जिलों के मतदाता स्थानीय चुनाव के लिए मतदान करेंगे। इन चुनाव में 3.32 करोड़ मतदाता 36,269 मतदान बूथ पर वोट डालेंगे। इसके लिए कुल 11,389 मतदान केंद्र बनाए गये हैं।
पहले चरण में 24 जिलों के 230 स्थानीय निकायों के 4095 वार्डों के लिए मतदान होगा। पहले चरण में 3731 मतदान केंद्रों के 11,683 मतदान बूथ पर 1.09 करोड़ मतदाता वोट देंगे। दूसरे चरण में 28 जिलों के 189 स्थानीय निकायों के 3601 वार्डों के लिए मतदान होगा। दूसरे चरण में 13,776 मतदान बूथ पर 1.29 करोड़ मतदाता वोट देगे। तीसरे चरण में 26 जिलों के 233 स्थानीय निकायों के 4299 वार्डों के मतदाता वोड डालेंगे। तीसरे चरण में 10810 मतदान बूथ पर 94 लाख मतदाता मतदान करेंगे। लोक सभा और विधान सभा चुनाव के उलट निकाय चुनावों में सुरक्षा व्यवस्था अर्ध-सैनिक बलों के हाथ में नहीं होगी। इन चुनाव सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य पुलिस की होगी।
लोक सभा चुनाव और विधान सभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य में बाकी दलों का सूपड़ा साफ कर दिया था। ऐसे में इन चुनाव को लेकर बीजेपी बहुत ज्यादा उत्साहित है। पार्टी साबित करना चाहती है कि उसकी पिछली जीत केवल तुक्का नहीं थी। स्थानीय चुनाव की घोषणा के बाद यूपी बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि विपक्ष बंटा हुआ है और उनकी पार्टी इन चुनाव में दमदार जीत हासिल करेगी। वहीं इसी साल सत्ता से बाहर हुई सपा के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि इन चुनावों में मतदान स्थानीय मुद्दों पर होते हैं और उनकी पार्टी के पास बीजेपी की जनविरोधी नीतियों पर जनता की मुहर लेने का मौका है।