लखनऊ. राजधानी के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में पेशेंट की किडनी चोरी मामले में एक महीने से चल रही जांच अब कम्प्लीट हो गई है। मामले की जांच कर रहे अधिकारियों ने शासन को अपनी रिपोर्ट भेज दी है। जांच में किडनी चोरी की बात गलत पाई गई है। रिपोर्ट में कई और खुलासे किए गए हैं।
-यूपी के बाराबंकी डिस्ट्रिक्ट के निवासी पृथ्वीराज (23) 19 फरवरी 2015 को ट्रैक्टर पलटने से घायल हो गया था। उसे उसी दिन केजीएमयू में ट्रीटमेंट के लिए लाया गया था। देर रात ऑपरेशन के बाद केजीएमयू के डॉ. संदीप तिवारी और डॉ. आनंद ने पेशेंट की फटी हुई आंत को जोड़ दिया था। आराम मिलने के कुछ दिनों बाद उसे केजीएमयू से डिस्चार्ज कर दिया गया था।
-लंबे समय तक बीच-बीच में कई बार केजीएमयू में ट्रीटमेंट भी चला। कुछ दिनों बाद पेट में तेज दर्द होने पर उसके घरवालों ने बाराबंकी में ही उसकी अल्ट्रासाउंड कराई। रिपोर्ट में केवल एक किडनी होने की जानकारी मिली।
-इस बात से नाराज पेशेंट के घरवालों ने बाराबंकी थाने में कंप्लेन दर्ज कराई। उसके बाद बाराबंकी पुलिस ने केजीएमयू के डॉ. संदीप तिवारी और डॉ. आनंद के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी थी।
-चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री, आशुतोष टंडन ने मामले का संज्ञान लेते हुए जांच के लिए पीजीआई और केजीएमयू के 4 सदस्यीय पैनल गठित करने का आदेश जारी किया था।
-जांच टीम में केजीएमयू के यूरोलाजी डिपार्टमेंट के हेड प्रो. एसएन शंखवार, फोरेंसिक मेडिसिन डिपार्टमेंट के हेड, प्रो. अनूप कुमार वर्मा, रेडियोडायग्नोसिस डिपार्टमेंट के डॉ. अनित परिहार को शामिल किया गया था। पीजीआई के नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रो. आरके शर्मा इस मामले निगरानी कर रहे थे।
जांच रिपोर्ट में ये सच आया सामने
-अधिकारियों ने जांच में पाया कि पेशेंट की दोनों किडनियां उसकी बॉडी में आज भी मौजूद हैं। चोट लगने और घाव के कारण उसकी एक किडनी सुख गई थी। केजीएमयू में ट्रीटमेंट के बाद बाराबंकी के जिस अल्ट्रासाउंड क्लिनिक की रिपोर्ट में पेशेंट की एक किडनी दिखाई गई है।
-दरअसल, पहले अल्ट्रासाउंड के दौरान लो डेफिनेशन की अल्ट्रासाउंड मशीन पाई गई थी, जिसके चलतेजांच करने पर चोट के कारण सुख गई एक किडनी नहीं दिखाई दी। इस कारण इस तरह की भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई।
क्या कहते हैं डॉक्टर्स
-किडनी चोरी का आरोप झेल रहे केजीएमयू के डॉ. संदीप तिवारी और डॉ. आनंद ने कहा कि हर बार की तरह इस मामले में भी सत्य की जीत है। कोई भी डॉक्टर किसी भी पेशेंट का कभी भी बुरा नहीं चाहता है।
-उन्होंने कहा, डॉक्टर का उद्देश्य पेशेंट की जान बचाने का होता है न कि उसके जीवन छिनने का। उन्हें खुशी है कि वे किडनी चोरी मामले में पूरी तरह से बेगुनाह साबित हो गए हैं।