लखनऊ: UPSC 2016 के एग्जाम में लखनऊ की रहने वाली इला त्रिपाठी को 51वीं रैंक मिली है। रिजल्ट अनाउंस होने के बाद इला ने बताया कि उन्होंने अपनी प्रिपरेशन के दौरान स्मार्टफोन का इस्तेमाल बेहद स्मार्ट तरीके से किया। उन्होंने बताया कि कैसे इंटरव्यू के दौरान जब उन्हें एक सवाल का जवाब नहीं आता था तो इंटरव्यूअर ने उनसे कहा- कोई बात नहीं, जरूरी नहीं कि हर कोई हर चीज में परफेक्ट हो। इला ने उन 7 सवालों को शेयर किया, जिनके जवाब देकर वो UPSC टॉपर बनीं।
(आगे की 7 स्लाइड्स में इन्फोग्राफिक्स में जानिए, किन सवालों का जवाब देकर इला ने पाई UPSC में 51वीं रैंक…)
सिर्फ काम की एप्लिकेशन्स को फोन में रखा…
– इला ने बताया, ”मैंने अपने मोबाइल से वॉट्सऐप, फेसबुक, लिंक्डइन जैसी सभी सोशल साइट्स को अन-इंस्टॉल कर दिया, क्योंकि ये सब मुझे डिस्टर्ब कर रहे थे।”
– ”मैंने फोन में सिर्फ न्यूज एप्लिकेशन, जीएस-जीके और सब्जेक्ट वाइज एप्लिकेशन्स ही रखे।”
पापा IAS बनाना चाहते थे, पर मैंने इंजीनियरिंग की…
– इला ने बताया, ”मैंने 2009 में सीएमएस से इंटर पास किया। मेरी मम्मी गिरिजा त्रिपाठी हाउसवाइफ हैं। हम दो बहनें हैं। मम्मी ने हमेशा मुझे जॉब में ही देखना चाहा था।”
– ”पापा पुष्कर त्रिपाठी हमेशा से ही मुझे IAS अफसर बनाना चाहते थे, लेकिन इंटर पास होने के बाद मैंने स्कोप को देखते हुए इंजीनियरिंग को चुना। पापा IFS अफसर थे। उनकी आखिरी पोस्टिंग कासगंज में थी। 2011 में कार्डिएक अटैक के चलते उनकी डेथ हो गई।”
– ”इसके बाद नोएडा की जेपी यूनिवर्सिटी से मैंने 2013 में सिविल से बीटेक पास किया। फिर लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एक साल का फाइनेंशियल मैनेजमेंट का कोर्स किया।”
– ”2014 में मैंने वापस आकर माइक्रोसेव कन्सल्टिंग फर्म कंपनी में जॉब शुरू की। इसमें सरकार की स्मार्ट ऐप वाली पॉलिसीज, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर, जनधन योजना जैसी चीजों को लोगों के बीच जाकर पहुंचाया। इसमें लोगों को जो समस्याएं आती थीं, उसकी एक एडवाइजरी बनाकर मिनिस्ट्री को रिपोर्ट करना होता था।”
2015 में लगा, पापा की ही बात माननी चाहिए…
– मूलत: यूपी के सिद्धार्थनगर के रहने वाली इला ने बताया, ”जुलाई 2015 में मैं गांवों की एक सर्वे रिपोर्ट बना रही थी। इसमें पता चला कि कैसे गांवों में किसान और गरीब थोड़े से काम के लिए हर सरकारी ऑफिस के चक्कर लगाते हैं।”
– ”मैंने एडवाइजरी में उन्हीं के हिसाब से रिपोर्ट में लिखा कि इन योजनाओं के स्टैंडर्ड, कागजों में कटौती की जाए। उसे भेजने के बाद मैंने और लोगों से इस बारे में बातचीत की। उन्होंने कहा कि हम इसे सिर्फ एडवाइज के तौर पर दे सकते हैं, इस पर काम तो एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर्स को ही करना है।”
– ”बस वहीं मुझे पापा की बात याद आई और जून 2015 में मैंने तैयारी करने का मन बना लिया। इसके बाद मैं जरूरी बातों पर रिसर्च और कन्टेंट जुटाने लगी।”
– ”2015 में मेरे एक दोस्त का IAS में सिलेक्शन हुआ। उससे भी बात की। जनवरी 2016 में मैंने शुरुआत की और प्रॉपर गाइडेंस के साथ और मैंने टॉप किया। मुझे लगता है कि सही जानकारी और शार्ट ट्रिक हो तो कोचिंग की जरूरत ही नहीं है।”
– ”मेन्स के लिए ऑन्सर राइटिंग करना पड़ता था। इसलिए मैंने 12 से 15 घंटे का फिक्स शेड्यूल बनाया था। इस दौरान मैं 4 घंटे लिखने की प्रैक्टिस करती थी। न्यूजपेपर रीडिंग करती थी। मैंने काफी चीजें ऑनलाइन पढ़ीं, जिसका मुझे फायदा हुआ।”