बाबरी मस्जिद गिराने के मामले में मंगलवार (30 मई) को सीबीआई की विशेष अदालत में हाजिर होने के लिए लखनऊ पहुंची। केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा है कि ये एक खुला आंदोलन था और इसमें क्या साजिश थी उन्हें नहीं पता। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार उमा भारती ने कहा, “ये खुला आंदोलन था जैसे इमरजेंसी के खिलाफ हुआ था। इस आंदोलन में क्या साजिश थी मुझे पता नहीं अभी।” सीबीआई की विशेष अदालत 1992 में अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में उमा भारती के अलावा लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी इत्यादि पर आरोप तय करेगी।
अदालत में हाजिर होने से पहले उमा भारती ने कहा, “मैं खुद को अपराधी नहीं समझती। ये केस भगवान से जुड़ा है और मुझे भगवान से ही आशा है।” सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल को बाबरी मस्जिद मामले से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए आडवाणी, जोशी और भारती एवं अन्य नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश का मामला चलाए जाने का आदेश दिया था। अदालत ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने से जुड़े दो मामलों को एक ही अदालत में स्थानांतरित करके रोजाना सुनवाई करके मामले को त्वरित निपटारे का आदेश दिया था।
बाबरी मस्जिद से जुड़े दूसरे मामले में महंत राम विलास वेदांत, महंत नृत्यगोपाल दास, बैकुंठ लाल शर्मा उर्फ प्रेस जी, चंपत राय बंसल, महंत धर्म दास और सतीश प्रधान पर अदालत मंगलवार को आरोप तय करेगी। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह भी बाबरी मामले में आरोप थे लेकिन अभी राजस्थान का राज्यपाल होने के कारण उन पर कोई अदालती कार्रवाई नहीं होगी।
15वीं सदी में बनाई गई अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद को छह दिसंबर 1992 को भाजपा के हजारों कारसेवकों ने गिरा दी थी। बाबरी मस्जिद गिराने से पहले भाजपा के कई नेताओं ने अयोध्या में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिए थे। भाजपा नेताओं का दावा है कि बाबरी मस्जिद भगवान श्रीराम के जन्मस्थल पर बने राम मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। विवादित भूमि पर स्वामित्व का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।