लखनऊ: मुलायम सिंह यादव ने सपा से अलग नई पार्टी के गठन संबंधी कयासों पर विराम लगाते हुए कहा है कि वह कोई नहीं पार्टी नहीं बनाएंगे. इसके साथ ही कहा कि सपा अध्यक्ष और पुत्र अखिलेश यादव को उनको आशीर्वाद है. एक प्रेस कांफ्रेंस में जब उनसे पूछा गया कि अखिलेश ने तो कहा है कि आपने उनको अपना आशीर्वाद दिया है तो इस पर मुलायम सिंह यादव ने कहा कि अखिलेश हमारे पुत्र हैं, लिहाजा उनको हमारा स्वाभाविक रूप से आशीर्वाद है लेकिन उनके निर्णयों से मैं सहमत नहीं हूं.
इससे पहले 23 तारीख को समाजवादी पार्टी के राज्य स्तरीय सम्मेलन में मुलायम सिंह और उनके भाई शिवपाल यादव शामिल नहीं हुए थे, जबकि इस पार्टी को उन्होंने ही 25 साल पहले बनाया था.
पिछले दिनों मुलायम सिंह ने अखिलेश यादव के समर्थक राम गोपाल यादव को लोहिया ट्रस्ट के सचिव पद से हटा दिया था और उनके स्थान पर शिवपाल यादव को नया सचिव बना दिया था. इन सबके चलते माना जा रहा था कि मुलायम सिंह यादव सपा से अलग नई पार्टी का गठन कर सकते हैं लेकिन मुलायम सिंह ने साफ तौर पर ऐसा करने से मना कर दिया. इसके साथ ही मुलायम सिंह यादव ने महंगाई के मुद्दे पर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंनेे कहा कि केंद्र सरकार के तीन साल में कोई भी वादा पूरा नहीं हुआ. बीएचयू में लड़कियां सुरक्षित नहीं हैं. यूपी की योगी सरकार नाकाम रही है. यूपी में सांप्रदायिकता बढ़ी है.
कुनबे में कलह
मुलायम की नई पार्टी बनाने की खबरों के बीच अखिलेश यादव ने कहा था कि वे असली समाजवादी हैं और कार्यकर्ताओं से अपील की थी कि वे नकली समाजवादियों से सावधान रहें. 23 सितंबर को समाजवादी पार्टी के राज्य स्तरीय सम्मेलन में मुलायम सिंह और उनके भाई शिवपाल यादव शामिल नहीं हुए थे जबकि इस पार्टी को उन्होंने ही 25 साल पहले बनाया था. पांच अक्टूबर को होने जा रहे पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में भी इन नेताओं को आमंत्रित नहीं किया गया है.
सपा में बगावत
सपा के शीर्ष परिवार में पिछले साल सितंबर में उस वक्त कलह सतह पर आई जब विधानसभा चुनावों की सुगबुगाहट के चलते अखिलेश यादव को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया. उस वक्त सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने उनकी जगह शिवपाल यादव को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था. उसके बाद पार्टी शिवपाल और अखिलेश खेमे में विभाजित हो गई. उसके बाद नाटकीय घटनाक्रम में मुलायम सिंह ने अखिलेश यादव और रामगोपाल को पार्टी विरोधी गतिविधियों में बाहर का रास्ता दिखा दिया.
हालांकि बाद में अखिलेश को तो पार्टी में वापस ले लिया गया लेकिन रामगोपाल की वापसी नहीं हुई. उसके बाद एक इसी साल एक जनवरी को सपा में तख्तापलट हो गया और अखिलेश यादव ने पार्टी की कमान अपने हाथों में ले ली और राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए. उसके बाद से शिवपाल खेमा पार्टी में हाशिए पर चला गया. शिवपाल को मुलायम का समर्थन माना जाता है.