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अलोक पाण्डेय – इश्क को मंजिल मिल गई। मोहब्बत के सफर पर किया गया वादा अब अधूरा अफसाना नहीं बनेगा। लखनऊ के इश्कजादे को उसकी मनपसंद दुल्हनिया मिल ही गई। गुजरी रात को दोनों एक-दूजे के हो गए। चंद रिश्तेदारों को मौजूदगी में शारिक हाशमी को कराची की सादिया ने अपना हमसफर बनाना कबूल कर लिया। यह निकाह तमाम झंझटों के बाद हुआ है। सोशल साइट्स ेके जरिए दोस्ती और फिर इश्क की राह में वीजा की अड़चन थी। दो मर्तबा प्रयास नाकाम होने के बाद ऐसा ख्याल आने लगा था कि अब इश्क की मौत तय है। खुदा की मेहरबानी हुई और शहर के सांसद और केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह तक गुहार पहुंच गई। फरमान जारी हुआ और एक पखवारे पहले वीजा जारी कर दिया गया। सादिया के लिए वह खुशी ईद से बढक़र थी। अम्मी-भाई के साथ सरहद लांघकर हिंदुस्तान पहुंची सादिया की जिंदगी में अब लखनऊ का शारिक बतौर शौहर शामिल हो चुका है।
पड़ोसियों के खराब रिश्तों के कारण संकट में था इश्क
सैय्यद शारिक हाशमी… यूं लखनऊ के तमाम छोरों की तरह एक सामान्य चेहरा है, लेकिन शारिक की मोहब्बत ने उन्हें मशहूर कर दिया। कुछ अरसा पहले सोशल साइट्स पर चैटिंग के दौरान शारिक की मुलाकात कराची की सादिया मेहरान से हुई। चैटिंग पर बातों की साझेदारी हुई। दोस्ती पनपने के बाद दोनों ने मोहब्बत का अफसाना गढऩा शुरू कर दिया था। एक-दूजे को समझने के बाद शारिक और सादिया ने निकाह का फैसला किया। अब दो पड़ोसियों के खराब रिश्ते इस इश्क में अड़चन थे। दरअसल, आतंकी हरकतों के कारण भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों को पाकिस्तानी सरकार की रजामंदी के बाद ही वीजा देने का फैसला किया था। पाकिस्तान की सरकार को इश्क से क्या लेना-देना था। उसने सादिया और उसके रिश्तेदारों के वीजा के लिए रजामंदी देने से इंकार कर दिया था।
दो प्रयास नाकाम, फिर राजनाथ ने सुनी मोहब्बत की गुहार
सादिया की अम्मी इस निकाह के खिलाफ नहीं थीं, लेकिन सरहद की बाधा आड़े थी। उन्होंने दो मर्तबा प्रयास किए, लेकिन हिंदुस्तान के विदेश मंत्रालय ने बगैर रजामंदी वीजा देने से इंकार कर दिया। ऐसे हालात में सादिया ने जुलाई में शारिक से कुछ करने के लिए कहा। उसने अपना खौफ भी बयान किया कि वीजा नहीं मिला तो इश्क की मौत तय है। अम्मी किसी और के साथ निकाह पढऩे के लिए कहेंगी। शारिक ने हिंदुस्तान में गुहार लगाई तो आवाज केंद्रीय गृहमंत्री और लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह तक पहुंच गई। उन्होंने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से बातचीत के बाद सादिया और उसके रिश्तेदारों के लिए वीजा की शर्त को खत्म करा दिया। अब मंजिल करीब थी। अगस्त के दूसरे पखवारे में सादिया के घर वीजा का संदेश पहुंच चुका था।
समझौता एक्सप्रेस से लांघी सरहद और बनीं दुल्हनिया
वीजा मिलने के बाद सादिया, उसकी अम्मी और भाईजान ने 19 अगस्त को समझौता एक्सप्रेस से सरहद को लांघकर हिंदुस्तान की माटी को स्पर्श किया। एक दिन दिल्ली में रिश्तेदारों के साथ गुजारने के बाद 21 अगस्त को सादिया अपनी ससुराल लखनऊ पहुंच गई थी। कुल 45 दिन के वीजा पर भारत आई 25 साल की सादिया ने तीन बरस बड़े शारिक के साथ कैसरगंज के गोलागंज में मंगलवार की रात निकाह कबूल कर लिया। इस मौके पर सिर्फ चंद रिश्तेदारों को न्योता गया था। क्रीम कलर की शेरवानी में दूल्हा बने शारिक ने अपनी मनपसंद शरीक-ए-हयात के लिए मिलने के बाद कहाकि ऐसी मिसाल सिर्फ हिंदुस्तान में देखने को मिलती है, पाकिस्तान के हुक्मरानों की जिद ने उनके ख्वाबों को मसलने का इंतजाम कर दिया था।