लखनऊ: लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) में शनिवार सुबह संदिग्ध परिस्थितियों में आग लग गई। इसमें सैकड़ों फाइलें जल कर ख़ाक हो गईं। ये आग पुरानी बिल्डिंग की चौथी मंजिल पर लगी। बताया जा रहा है कि ख़ाक हुए दस्तावेजों में कई फाइलें ऐसी थीं जिनकी जांच चल रही थी। आग में कई कम्प्यूटर भी जल गए। आफिस में ड्यूटी पर तैनात गार्ड्स ने जब आग की लपटों को देखा तो तत्काल इसकी सूचना अधिकारियों को दी। सूचना पर गोमतीनगर थाने की पुलिस और दमकल की 5 गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और किसी तरह आग पर काबू पाया गया।
500 करोड़ अधिक के समायोजन घोटाले की फाइलें हुईं ख़ाक
– LDA में चौथी मंजिल पर संदिग्ध परिस्थितियों में आग से ख़ाक हुईं फाइलें समायोजन और प्रापर्टी की थीं।
– आग से करीब 400 फाइलें और तकरीबन 1 दर्जन से अधिक कम्प्यूटर जल कर ख़ाक हो गए। सूत्रों की माने तो जली फाइलों में कई ऐसी फाइलें भी थीं जिनकी शीर्ष अधिकारियों द्वारा जांच की जा रही थी। वहीं, हर फाइल में करीब 40-50 लाख के घोटाले के सबूत मौजूद थे।
– बताया जा रहा है कि सबसे ज्यादा समायोजन घोटाले की फाइलें जल कर खाक हुई हैं। गौरतलब है कि LDA में 500 करोड़ से भी अधिक का समायोजन घोटाला हुआ है। ऐसे में यह आगजनी संदिग्ध भी मानी जा रही है। हांलाकि वीसी प्रभुनाथ सिंह ने इस कमरे में मीडिया की इंट्री पर बैन लगा दिया था।
चौथी मंजिल पर नहीं है सीसीटीवी कैमरा
– बता दें, एलडीए की इस बिल्डिंग में चौथी मंजिल छोड़कर हर मंजिल पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। ऐसे में ये सवाल उठता है कि जिस मंजिल पर करोड़ों के घोटालों की जांच की फाइलें रखी गई थीं, वहां सीसीटीवी कैमरे क्यों नहीं लगाए गए।
– सीसीटीवी न लगे होने के कारण आग की वजह का भी पता नहीं चल सका है।
15 करोड़ से लगा फायर सेफ्टी सिस्टम फेल
– लखनऊ विकास प्राधिकरण में लगी आग ने विभाग की पोल खोल दी है। विभाग में करीब 15 करोड़ रुपए की लागत से फायर सेफ्टी सिस्टम लगाया गया था।
– जब एलडीए के गार्ड्स ने फायर सेफ्टी सिस्टम का प्रयोग कर आग पर काबू पाने का प्रयास किए तो यह पूरी तरह से फेल निकला।
– उसके बाद पुलिस और फायर ब्रिगेड को सूचना दी गई। ऐसे में फायर ब्रिगेड की गाड़ियां पहुंचने तक सैकड़ों फाइलें जल गईं। इस मामले पर एलडीए के अधिकारियों ने फिलहाल चुप्पी साध रखी है।
कंप्यूटर में लोड की जा रही थी फाइलें
– बता दें, चौथी मंजिल पर रखी गई फाइलों की स्कैनिंग कर उन्हें कंप्यूटर में लोड किया जा रहा था। इसका टेंडर राइट्स एंड कंपनी को दिया गया है। बताया जा रहा है कि शुक्रवार की रात को इसी कंपनी के दो कर्मचारी अमन शर्मा और ऋषभ पटेल चौथी मंजिल पर मौजूद थे।
– पुलिस इन दोंनो से पूछताछ करने की भी तैयारी कर रही है। फिलहाल आग कैसे लगी, इस बारे में कुछ साफ नहीं हो पाया है।
घटना से उठ रहे ये 5 सवाल
1. 15 करोड़ से लगा फायर सेफ्टी सिस्टम कैसे हुआ फेल?
2.ब्लैक लिस्टेड कंपनी को क्यों दिया गया स्कैनिंग का काम?
3. सीसीटीवी की निगरानी में क्यों नहीं हो रही थी स्कैनिंग?
4. प्राइवेट कंपनी के कर्मचारियों से घोटालों से जुड़ी फाइलों की स्कैनिंग क्यों कराई जा रही थी?
5.स्कैनिंग के समय क्यों नहीं मौजूद थे एलडीए के कर्मचारी?
जिस मेज पर रखे थे कंप्यूटर वो मेज क्यों नहीं जली?
– इस मामले में सबसे चौकाने वाली बात ये है कि कंप्यूटर तो जल गए, लेकिन जिस मेज पर ये कंप्यूटर रखे गए थे वो नहीं जले।
– वहीं, कंप्यूटर भी लगे केबल भी सही-सलामत थे। साथ ही कमरे में पड़ी कुछ कुर्सियां भी आग की चपेट में नहीं आई थीं।
आग को लेकर ये चर्चा-कयास
1. शॉर्ट सर्किट होने की चर्चा: मौके पर मौजूद कर्मचारियों में ये चर्चा है कि आग शॉर्ट सर्किट से लगी है। कर्मचारियों का कहना है कि पुरानी बिल्डिंग होने की वजह से यहां शॉर्ट सर्किट हो सकता है।
2. आग लगाए जाने के कयास:वहीं, एलडीए के कुछ कर्मचारी इस बात के भी कयास लगा रहे थे कि आग को जान-बूझकर लगाया है। कर्मचारियों के मुताबिक, इस फ्लोर पर इतने बड़े घोटाले से जुड़ी फाइलें थीं कि इसकी जांच में कई लोग फंस सकते थे। ऐसे में सबूत मिटाने के लिए इन्हें आग के हावाले कर दिया गया।
ये भी है चर्चा:ऐसी चर्चा है कि इस आग की जिम्मेदारी प्राइवेट कंपनी के कर्मचारियों पर डालने की तैयारी है। इस वजह से एलडीए के अधिकारियों की ओर से बार-बार इन कर्मचारियों का नाम लिया जा रहा है।
किसी बड़े मामले की फाइल नहीं जली : प्रभुनाथ सिंह, VC, LDA
– LDA के वीसी प्रभुनाथ सिंह ने कहा, “कल 200 फाइलें स्कैनिंग के लिए दी गई थी, वो सुरक्षित हैं। किसी बड़े मामले की फाइलें जलने की बात अभी सामने नहीं आई है। इस मामले की जांच जारी है। जांच रिपोर्ट में अगर ये बात सामने आती है कि आग किसी ने लगाई है, तब उस मामले में पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई जाएगी। फिलहाल, शुरुआती जांच में ये बात सामने आई है कि रिकॉर्ड रुम लॉक था, एलडीए के मेन गेट पर सिक्योरिटी थी। ऐसे में अंदर कोई आ नहीं सकता था। स्कैनिंग चल रही थी।उस वक्त स्कैनिंग करने वाली कंपनी के दो कर्मचारी मौजूद थे।”
– इस बयान से पहले LDA के वीसी प्रभुनाथ सिंह ने कहा था , “आग लगने से जली फाइलों के बारे में डाटा इकट्ठा किया जा रहा है। एक्सईएन (इलेक्ट्रिकल) वी के शर्मा और LDA के तहसीलदार राजेश शुक्ला इसकी जांच करेंगे।”
इस मामले में सीएम योगी से करुंगा बात: सुरेश पासी, राज्यमंत्री
-राज्य मंत्री सुरेश पासी ने DainikBhaskar.com से बातचीत में कहा, “मामले की जानकारी होने के बाद तुरंत मैंने एलडीए के वीसी से बात की । इसकी पूरी रिपोर्ट मंगवाई है। अगर किसी लापरवाही या किसी प्रकार से फैक्ट को छुपाने के लिए कोई भी काम किया गया है, तो निश्चित तौर पर कार्रवाई होगी। इस मामले में सीएम योगी से भी बात करूंगा।”
क्या है समायोजन घोटाला?
– 2014 में एलडीए वीसी सतेंद्र सिंह के रहते सीतापुर रोड पर बसंतकुंज योजना में लोगों को एलडीए की ओर से प्लॉट आवंटित किए जाने थे। लेकिन ये योजना विवादों की भेंट चढ़ गई।
– इसके बाद यहां के आवंटियों को दूसरी योजनाओं (गोमती नगर विस्तार-जानकीपुरम, शारदा नगर योजना) में एडजेस्टमेंट के आधार पर प्लॉट दिए जाने थे।
– दरअसल, विवादों में फंसी बसंतकुंज योजना के प्लॉट सस्ते थे, क्योंकि वो शहर से काफी दूर था। वहीं, जिन योजनाओं में आवंटियों का एडजेस्टमेंट किया जा रहा उसके प्लॉट एलडीए के सबसे महंगे प्लॉट थे।
– इस एडजेस्टमेंट के दौरान आवंटियों से बाबू और एलडीए के अधिकारियों की ओर से घूस ली गई और करोड़ों के प्लॉट कौडियों के दाम बेच दिए गए।
– इस घोटाले का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बसंतकुंज योजना में आवंटी ने 2-3 लाख का प्लॉट खरीदा था, उसे 1 से 2 करोड़ के प्लॉट कम दाम में मिल गए।
– अंदाजा लगाया जाता है कि इस समायोजन में 500 करोड़ का घोटाला हुआ था, जिसकी जांच एलडीए वीसी खुद कर रहे थे।