लखनऊ: पॉल्यूशन के मामले में लखनऊ ने पिछले पांच सालों का रिकॉर्ड तोड़ते हुए दिल्ली-NCR को भी पीछे छोड़ दिया है। मंगलवार के दिन लखनऊ देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा। यहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 486 माइक्रोग्राम पहुंच गया, जबकि दिल्ली में एक्यूआई घटकर 308 माइक्रोग्राम हो गया। बता दें कि CPCB ने मंगलवार को देश के 44 शहरों में हवा के क्वालिटी की मॉनिटरिंग की थी।
सफाईकर्मी जला रहे हैं कूड़ा
-पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अफसरों का कहना है कि प्रदूषण को कम करने के लिए जरूरी उपायों का प्रस्ताव जिलाधिकारी को सौंप दिया है। एनजीटी के आदेश में कूड़ा जलाने पर सख्त प्रतिबंध है। इसके बावजूद सफाई कर्मी कूड़ा जला रहे हैं। नगर निगम ने इस बारे में गाइड लाइन जारी की है लेकिन इसका असर नहीं दिखाई दिया।
शहरों का पॉल्यूशन लेवल
शहर AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स)
लखनऊ 484
दिल्ली 308
गाजियाबाद 467
कानपुर 448
मुरादाबाद 420
नोएडा 410
लखनऊ में भी बैन होंगी ये गाड़ियां
-खतरनाक स्तर पर पहुंच चुके एयर पॉल्यूशन के बाद शहर में 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियां और 10 साल पुरानी गाड़ियों को बैन किया जाएगा। डीएम कौशल राज शर्मा के मुताबिक, 15 दिसंबर तक जागरुकता अभियान चलाया जाएगा, ताकि लोग खुद से पुरानी गाड़ियों को हटा लें।
सरकारी गाड़ियां भी निशाने पर
– डीएम ने सभी विभागों को चिट्ठी लिखकर कहा है कि वो एक हफ्ते के भीतर सरकारी गाड़ियों का पॉल्यूशन चेक कराकर सर्टिफिकेट लें।अगर रेंडम चेक में किसी की भी गाड़ी पकड़ी गई, तो सीज करने की कार्रवाई की जाएगी। लखनऊ शहर के सभी 129 केन्द्र गाड़ियों के प्रदूषण के लेवल को रेंडम चेक करें।
लखनऊ में प्रदूषण का पिछले पांच साल का आंकड़ा (माइक्रोग्राम में)
14 नवम्बर- 2017- 486 माइक्रोग्राम
7 नवम्बर- 2016- 444 माइक्रोग्राम
12 नवम्बर- 2015- 471 माइक्रोग्राम
20 अक्टूबर- 2014- 300 माइक्रोग्राम
10 नवम्बर- 2013- 476 माइक्रोग्राम
मौसम विभाग का पक्ष
-मौसम विभाग के डायरेक्टर जेपी गुप्ता के मुताबिक प्रदूषण और कोहरे के कारण स्मॉग अभी अगले एक हफ्ते तक ऐसे ही बना रहेगा। उसके बाद स्मॉग में कमी आयेगी। अभी रेन फाल होने की कोई संभावना नहीं है। ठंड में बढ़ोतरी होगी। सबसे ज्यादा ठण्ड मोर्निंग और इवनिंग के टाइम होगी।
प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड का पक्ष
-यूपी पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के इन्वायरमेंटल ऑफिसर राम करन के मुताबिक राजधानी लखनऊ में प्रदूषण का लेवल काफी बढ़ गया है। इसे कंट्रोल करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाये जा रहे है। बुधवार को शहर में प्रदूषण की जांच करने के लिए पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों की दो टीमें रवाना की गई है। जहां पर भी प्रदूषण मिल रहा है। वहां पर नोटिस जारी करने की कार्रवाई की जा रही है। किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।
सिविल की ओपीडी में पहुंचे 70 पेशेंट
-सिविल हॉस्पिटल में सोमवार को चेस्ट डिपार्टमेंट की ओपीडी में 70 पेशेंट आए। चेस्ट फिजिशियन डॉ. आरसी प्रसाद के मुताबिक आम दिनों में 30 से 40 पेशेंट आते हैं। बीते चार पांच दिन से 80 से 100 पेशेंट रोज आ रहे हैं। इसमें भी ज्यादातर बच्चे और बुजुर्ग हैं। स्मॉग की यही स्थिति रही तो मरीजों की संख्या में और भी वृद्धि हो सकती है।
बलरामपुर की ओपीडी में 220 मामले
-बलरामपुर हॉस्पिटल में सोमवार को चेस्ट विभाग की ओपीडी में 100 पेशेंट आए। इनमें से ज्यादातर पेशेंट को अस्थमा, सांस लेने में जकड़न और आंखों में जलन की प्रॉब्लम थी। चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ आनंद गुप्ता ने बताया कि स्मॉग की वजह से मरीजों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे मौसम में लोगों को सावधानी बरतने की जरुरत है।
-लोहिया हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. डीएस नेगी के मुताबिक सोमवार को हॉस्पिटल में सांस के 80 से ज्यादा मरीज आए। बीते 3 दिनों में सांस के पेशेंट की संख्या बढ़ी है। इनमें अधिकतर अस्थमा, खांसी और एलर्जी के हैं।
ये है स्मॉग की वजह
-मौसम विभाग के डॉयरेक्टर जेपी गुप्ता के मुताबिक कोहरा और प्रदूषण दोनों की वजह से स्मोग फिर से वापस आ गया है। अगले चार से पांच दिनों तक स्मोग ऐसे ही बना रहेगा। ऐसे मौसम में लोगों को सावधानी बरतने की जरुरत है।
ये है प्रदूषण की वजह
-यूपी पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के इन्व्यारमेंटल ऑफिसर अशोक कुमार तिवारी के मुताबिक़ पंजाब में किसान फसलों की कटाई के बाद खेत साफ करने के लिए बड़ी मात्रा में पराली( फसल का अवशेष) जला रहे हैं। इसके कारण पंजाब से उठने वाली हवा नोएडा और दिल्ली में प्रदूषण फैलाने का काम कर रही है। वहीं, लखनऊ में बढ़ती वाहनों की संख्या उससे उठने वाला धुंआ, तेजी से हो रहा कंस्ट्रक्टशन और वर्कशॉप प्रदूषण की वजह बना हुआ है।
प्रदूषण से हो सकती है ये बीमारियां
-केजीएमयू के पल्मोनरी मेडिसिन डिपार्टमेंट के डॉक्टर प्रो. संतोष कुमार के मुताबिक फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुंए में सल्फर डाई ऑक्साइड और नाइट्रोजन जैसी कई हानिकारक गैस और लेड पाई जाती है।
-यदि कोई व्यक्ति डायरेक्ट या इनडायरेक्ट इन गैसों के सम्पर्क में आता है तो उसका लंग्स और स्किन दोनों पर इन गैसों का बैड इफेक्ट पड़ सकता है। लंग्स में इन्फेक्शन होने के साथ टीबी की बीमारी और स्किन से रिलेटेड बीमारी हो सकती है। वहीं, लेड की वजह से कैंसर होने के चांसेज बढ़ जाते हैं।
बरते यें सावधानी
-भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें।
-खांसते या छींकते टाइम नाक और मुंह पर कपड़ा रखे।
-खुले में ना थूकें।
-कोहरे में ज्यादा देर तक ना टहले।