उत्तर प्रदेश विधानसभा, राजभवन और मुख्यमंत्री आवास जैसे लखनऊ के हाई सिक्योरिटी जोन में आलू फेंकने की घटना से पुलिस हलकान हो गई। किसी भी कीमत पर दोषियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। हाई सिक्योरिटी जोन के सीसीटीवी फुटेज की घंटों पड़ताल की और 10 हजार से अधिक लोगों के फोन नंबर सर्विलांस पर लगाए। तब जाकर पुलिस इस मामले में खुलासा करने में सफल रही। खुद पुलिस के मुताबिक सिर्फ एक मामले में इतने नंबर कभी सर्विलांस पर नहीं लगाए गए। एसएसपी दीपक कुमार ने 10 हजार से ज्यादा फोन नंबर्स सर्विलांस पर लगाने के बाद सफलता मिलने की पुष्टि की है। उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में जानकारी देते हुए बताया कि पकड़े गए लोग सपा के यूथ विंग के बताए जाते हैं। इससे पता चलता है कि आलू फेंकने वाले किसान नहीं, बल्कि राजनीतिक कार्यकर्ता थे, उनके सपा कनेक्शन की जांच चल रही है।
सीसीटीवी से पता चला वाहन का नंबरः लखनऊ एसएसपी दीपक कुमार ने बताया कि जब मुख्यमंत्री आवास को जाने वाली सड़क सहित हाई सिक्योरिटी जोन के अन्य स्थलों पर आलू फेंकने की घटना हुई, तब पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज जुटाए। सीसीटीवी से आलू फेंकने में इस्तेमालवाहन का नंबर पता चल गया। जांच करने पर यह वाहन कन्नौज के जिला पंचायत सदस्य शिल्पी चौहान के पति संजू के नाम दर्ज मिला।
पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने आलू एक कोल्ड स्टोरेज से खरीदा था। फिर राज्य विधानसभा और मुख्यमंत्री आवास वाले रोड पर फेंकने की योजना बनाई। एक दिन पहले आरोपी राजधानी के मॉल एवेन्यू स्थित एक घर में ठहरे थे, फिर अगले दिन ही उन्होंने सड़क पर आलू फेंका। वे आलू किसानों की दुर्दशा को मुद्दा बनाकर सरकार को बदनाम करना चाहते थे। आलू फेंकने में गिरफ्तार दोनों आरोपी सपा से जुड़े बताए जाते हैं। कन्नौज के दोनों युवक समाजवादी पार्टी युवजन सभा से जुड़े बताए जाते हैं। बता दें, देश में 35 प्रतिशत आलू का उत्पादन यूपी के किसान करते हैं। इस बार काफी कीमतें कम हो गईं।
किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। हालत इस कदर खराब है कि कोल्ड स्टोरेज में जमा आलू पर किसान दावा ही नहीं कर रहे हैं। क्योंकि बाजार में रेट काफी कम है, उससे ज्यादा उन्हें कोल्ड स्टोरेज में जमा आलू का किराया देना पड़ रहा है। इस नाते अब कोल्ड स्टोरेज खाली करने के लिए पुराने आलू को कई स्थानों के कोल्ड स्टोरेज ने फेंकना शुरू कर दिया है।
आलू की कम कीमतों को लेकर बीते छह जनवरी को विधानसभा के बाहर करीब चार लोडर आलू फेंके गए थे। विरोध के इस तरीके ने लखनऊ प्रशासन के होश उड़ा दिए थे। जिसके बाद पुलिस दोषियों की पकड़ में जुटी थी।