लखनऊ; लखनऊ जू के सबसे बुजुर्ग वाइट टाइगर आर्यन (17) की शुक्रवार सुबह मौत हो गई। जू के स्टाफ ने 20 किलो की माला से उसकी अंतिम विदाई दी। इस दौरान यहां के अधिकारियों और कर्मचारियों इसकी लव स्टोरी भी बताई। आर्यन के दो बच्चे हैं जिनका नाम जय और विजय है। आगे पढ़िए आर्यन को कैसे हुआ था पत्नी विशाखा से प्यार…
– आर्यन की देखरेख करने वाले डॉ. अशोक कुमार ने बताया, ‘जू‘ में कई तरह की टाइगर्स को मैंने देखा, लेकिन आर्यन की हरकतें एकदम अनोखी लगी। वो पूरी तरह से अपने को दर्शकों के पास ही रखता था। ऐसा लगता था जैसे वो सुबह दर्शकों के आने का इंतेजार करता हो। बहुत फ्रेंडली था।
– उसके पिता रूपेश थे और मां रीमा। दोनों को नंदनकानन जूलोजिकल पार्क से लाया गया था। रीमा बहुत खूबसूरत और सीधी थी। वैसी ही खूबसूरती और सादगी टाइगर आर्यन में थी।
– साल 2001 में आर्यन का जन्म हुआ था। वो बचपन से ही बहुत चंचल था, लेकिन बतौर टाइगर वो अग्रेसिव नहीं था। इसका एक बड़ा कारण यह था कि वो यहीं पैदा हुआ था। इस वजह से भी वो यहां के लोगों से बहुत घुला-मिला था।
आर्यन की ऐसे हुई थी पत्नी विशाखा से प्यार
– आर्यन के युवा होते ही उसके लिए छत्तीसगढ़ की शेरनी विशाखा को लखनऊ के जू में लाया गया था। जब पहली बार वो बाड़े में आई तो आर्यन उसे देखकर उसकी ओर गया। वो उसके पास पहुंचने वाला था, लेकिन वह बहुत तेज तेरजी। इससे आर्यन को पीछे हटना पड़ा था।
– उस वक्त शेरनी आर्यन को देखकर 2 दिनों तक गुस्से में ही रही थी। खाने के वक्त भी वो बहुत तेजी से खाने की ओर आती थी। वहीं, आर्यन खाने का इंतजार करता था।
– तीसरे दिन आर्यन जब उसके पास से गुजरा तो वो कुछ नहीं बोली। कुछ देर तक वो उसे देखती रही। इसके बाद दोनों में प्यार हो गया। उसके अगले ही घंटे में दोनों दर्शकों के सामने एक साथ बाड़े में खड़े थे।
गोट मीट सूंघकर ही छोड़ देता था, बुफेलो मीट का था पसंद
– जू में काफी सालों तक टाइगर्स को खाना देने वाले एक कर्मचारी ने बताया, यहां साप्ताहिक रूप से फिक्स चार्ट के अनुसार डाइट दी जाती है। आर्यन के पास भी हम इसी हिसाब से लेकर जाते थे, लेकिन उसकी पहली पसंद ‘बुफेलो मीट‘ था। वो दूर से ही सूंघकर जान जाता था कि मीट बुफेलो का है या गोट का। जिस दिन हम उसे लेकर अंदर जाते थे, उसके पहले से ही वो दूर से टकटकी लगाए देखता रहता था।
– वहीं कई बार ‘गोट मीट‘ जब लेकर गए तो उसने खाया ही नहीं, कई बार उसे सूंघकर ही वापस हो गया। वो बुफेलो मीट खाने का बहुत शौकीन था।
कैसे चिड़ियाघर में ज्यादा दिनों तक जिंदा रहते हैं टाइगर
– प्रमुख वन संरक्षक पद से रिटायर्ड वाइल्ड लाइफ और शेरों की प्रजाति पर काम करने वाले चर्चित फाॅरेस्ट आॅफिसर रामलखन सिंह ने बताया, दुनिया में कुल 4 हजार जंगलों में टाइगर हैं। इनमें से 22 सौ अकेले इंडिया में हैं।
– एक भी टाइगर की मृत्यु के होने का सीधा मतलब होता है कि दुनिया के 1 प्रतिशत टाइगर कम हो गई। चिड़ियाघर के टाइगर ज्यादा दिनों तक जिंदा रहते हैं। 15 से 16 साल जंगल एवरेज आयु होती है, जबकि चिड़ियाघर में 18 से 20 साल।
– ऐसा इसलिए है, क्योंकि जंगल में अपने एरिया को बचाने और खाने के लिए संघर्ष में उनकी लड़ाइयां होती हैं जिससे उनकी एवरेज आयु कम हो जाती है।
– 2 साल में एक बार मादा, नर को अपने पास रहने देती है जब वो मूड में होती है। उसका कारण ये है कि मादा दो साल तक अपने बच्चों को ट्रेनी देती है उस दौरान पति से बच्चों को खतरा होता है, इसलिए वो उसे दूर रखती है। क्योंकि छोटे नर बच्चे को वो अपना प्रतिद्वदी समझने लगता है। ऐसे में वो अपने बेटे पर भी अटैक कर सकता है।
टाइगर अपनी मूत्र से डिफाइन करते हैं एरिया
– उन्होंने कहा, टाइगर्स अपने मूत्र से अपनी एरिया को डिफाइन्ड करता है। जब कोई दूसरा नर उसकी रेंज में आता है तो उसे मालूम हो जाता है कि कौन इस एरिया का मालिक है।
-टाइगर्स में ताकत एरिया और मादा की जंग होती है, जो भारी पड़ता है वहीं सब हासिल करता है।
– टाइगर की 10 किलो रोज की डाइट है। साल में एक टाइगर 52 हिरणों को मारकर खाता है। हमें जंगल को बढ़ाना होगा जिससे घास बढ़ेगी और चरने वाले जीव उसमें बढ़ेंगे और टाइगर उन्हें खा सकेंगे। वरना वो शहरी क्षेत्र में बढ़ेंगे।